Edited By bhavita joshi,Updated: 26 Apr, 2019 01:05 PM
अल्जाइमर होने के बाद भी कुछ दवाइयों के जरिए आपकी याद्दाश्त वापस आ सके, इसके लिए दो मॉलीक्यूल पर पंजाब यूनिवर्सिटी के फार्मास्यूटिकल साइंस डिपार्टमैंट के स्कॉलर दिनेश ढुल्ल ने विभाग के प्रो. अनिल कुमार की गाइडैंस में काम किया है।
चंडीगढ़(रश्मि): अल्जाइमर होने के बाद भी कुछ दवाइयों के जरिए आपकी याद्दाश्त वापस आ सके, इसके लिए दो मॉलीक्यूल पर पंजाब यूनिवर्सिटी के फार्मास्यूटिकल साइंस डिपार्टमैंट के स्कॉलर दिनेश ढुल्ल ने विभाग के प्रो. अनिल कुमार की गाइडैंस में काम किया है। दिनेश ने बताया कि वह 6 वर्ष से अल्जाइमर की बीमारी को ठीक करने के प्रोजैक्ट पर काम कर रहे हैं। इसे ठीक करने के लिए उन्होंने एम.जी.एल.यू.आर. फाइव के नैगेटिव एलोसटैरिकमॉडूलेटर और थॉलीडोमाइड एनालॉग दो ऐसे मॉलीक्यूल पर काम किया है, जो अल्जाइमर होने के बाद याददाश्त वापस लाने में मदद कर सकते हैं।
स्कॉलर दिनेश ने चूहों पर किया प्रयोग
स्कॅालर दिनेश ने यह प्रयोग अभी तक चूहों पर किया है। उन्होंने पहले सफेद चूहों को न्यूरो टॅाक्सिन कैमिकल देकर उनकी मैमोरी कम कर दी। फिर उन्हें यह दवाइयां देकर उनकी मैमोरी को बढ़ाया गया। यानि इन मॉलीक्यूल ने चूहों के खराब हो चुके न्यूरो सिस्टम को काफी ठीक किया। अभी न्यूरोइंफलेमेशन या न्यूरो एक्सटाईएशन नर्व डैमेज होने से जो दिमाग को नुक्सान होता है।
उसमें यह मॉलीक्यूल न्यूरो को सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाता है। ग्लूटामेट स्तर को कम करने, माईटोकांड्रिया कार्य क्षमता सुधारने, तनाव कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इसके अलावा अल्जाइमर की पैथोफिजियोलाजी और अल्जाइमर जटिल पैथालॅाजी के ईलाज के लिए भी सक्षम पाए गए हैं। अभी इसके मानव पर क्लीनिकल ट्रायल होने में थोड़ा समय लगेगा।
60 या 65 वर्ष की आयु के बाद होता है अल्जाइमर
बता दें कि अल्जाइमर एक ऐसी खतरनाक बीमारी है, जिसके हो जाने पर कोई भी व्यक्ति अपनी याद्दाश्त खो सकता है। यह बीमारी अक्सर 60-65 वर्ष की आयु के बाद होती है। इस बीमारी का इलाज तो मार्कीट में है लेकिन याद्दाश्त वापस लाने में अभी इतनी कारगर दवाई नहीं आई है। अभी जो मार्कीट में दवाइयां हैं, उनसे उसके लक्षणों को कम सकते हैं। यानि एक बार जो अपनी याददाश्त खो देता है, उसकी याददश्त वापस आनी नामुमिकन ही है। इसके अलावा लैब में कुछ और दवाइयों पर भी रिसर्च की गई है किइन दवाइयों में तो वह क्षमता नहीं है, जिनमें अल्जाइमर को ठीक करने में कारगर हो।