Edited By bhavita joshi,Updated: 25 Jun, 2019 12:20 PM
बिजली विभाग ने शहर के लोगों को बेहतर बिजली सप्लाई देने के लिए तीन साल पहले खंभों पर लटकी तारों को अंडरग्राऊंड करने की योजना पर काम शुरू किया था लेकिन विभाग के उदासीन रवैये से योजना अधर में लटकी पड़ी है।
चंडीगढ़(साजन शर्मा): बिजली विभाग ने शहर के लोगों को बेहतर बिजली सप्लाई देने के लिए तीन साल पहले खंभों पर लटकी तारों को अंडरग्राऊंड करने की योजना पर काम शुरू किया था लेकिन विभाग के उदासीन रवैये से योजना अधर में लटकी पड़ी है। शहर के लगभग सवा दो लाख कंज्यूमर्स को जल्द राहत मिलने की संभावना नहीं है।
तूफानी बारिश में ध्वस्त हो जाती है व्यवस्था
मानसून का सीजन सिर पर है और गर्मियों की आंधियों व तेज हवाओं ने बिजली विभाग की पूरी तरह से पोल खोल दी है। विभाग का दावा था कि 24 घंटे बिजली सप्लाई देने के लिए अगर तारें अंडरग्राऊंड कर दी जाएंगी तो योजना परवान चढ़ सकेगी। बता दें कि शहर के कई इलाकों में अभी भी बिजली की तारों का जाल लटका पड़ा है।
जर्जर हालत में तारें टूटने व बिजली के खंभे गिरने से अक्सर बिजली की कटौती करनी पड़ती है। इन तारों से बड़े हादसों के होने का खतरा मंडराता रहता है। दिन भर लोगों को बिजली ट्रिपिंग की समस्या से जूझना पड़ता है। हालात तब ज्यादा खराब हो जाते हैं, जब रात के वक्त तार टूटने पर कोई भी कर्मचारी जल्दी जोडऩे के लिए नहीं आते हैं। इससे घंटों बिना बिजली के लोग परेशानी में फंसे रहते हैं। अक्सर रात में गई बिजली सुबह ही आती है।
सैक्टर-8 से होनी है शुरुआत
जे.ई.आर.सी. ने इस प्रोजैक्ट के लिए 17.89 करोड़ रुपए अप्रूव किए हैं। पायलट प्रोजैक्ट के तहत सैक्टर-8 से इसकी शुरुआत होनी है लेकिन विभागीय उदासीनता के चलते अभी तक केबल को अंडर ग्राऊंड करने की पहल शुरू नहीं हो पाई है। बताया जाता है कि पूरे प्रोजैक्ट में 70 प्रतिशत हिस्सेदारी प्रशासन की होगी, जबकि 30 प्रतिशत स्मार्ट पावर ग्रिड की हिस्सेदारी बताई जा रही है।