Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 May, 2018 11:42 AM
बेशक ग्रीनरी के मामले में चंडीगढ़ देश के कईं अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आगे हो, लेकिन इस मामले में फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (एफ.एस.आई.), देहरादून की इंडिया स्टेट ऑफ फॉरैस्ट रिपोर्ट (आई.एस.एफ.आर.) रिपोर्ट कुछ और ही दावा कर रही है।
चंडीगढ़ (विजय) : बेशक ग्रीनरी के मामले में चंडीगढ़ देश के कईं अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आगे हो, लेकिन इस मामले में फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (एफ.एस.आई.), देहरादून की इंडिया स्टेट ऑफ फॉरैस्ट रिपोर्ट (आई.एस.एफ.आर.) रिपोर्ट कुछ और ही दावा कर रही है। 2017 की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि चंडीगढ़ का फॉरेस्ट कवर एरिया कम हुआ है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल चंडीगढ़ के फॉरैस्ट कवर एरिया में 0.1 स्क्वेयर किलोमीटर की कमी आई है। हालांकि कहने को तो यह एरिया अधिक नहीं लगता है लेकिन इसकी वजह जो बताई गई है उसे सिटी ब्यूटीफुल के भविष्य के लिए खतरे की घंटी माना जा सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चंडीगढ़ में फॉरैस्ट कवर एरिया के कम होने की मुख्य वजह डिवैल्पमैंट एक्टिविटी को माना जा सकता है।
यानि जो डिवैल्पमैंट एक्टिविटी चल रही है उस कारण शहर में फॉरैस्ट कवर एरिया लगातार कम होता जा रहा है। बात की जाए 2015 के फॉरैस्ट कवर एरिया की तो उस समय जब रिपोर्ट आई थी यह एरिया 48.03 स्क्वेयर किलोमीटर बताया गया था। जबकि 2017 में फॉरैस्ट कवर एरिया कम होकर 48.56 स्क्वेयर किलोमीटर रह गया।
ग्रीन कवर एरिया भी खतरे में
जिस तरह से शहर में डिवैल्पमैंट एक्टिविटी तेजी से चल रही है उससे शहर का ग्रीन कवर एरिया भी खतरे में आ गया है। हालांकि रिपोर्ट में ग्रीन कवर एरिया को अभी चिंताजनक नहीं बताया गया है। इसके उलट 2015 के मुकाबले शहर का ग्रीन कवर एरिया बढ़ा है।
रिपोर्ट के अनुसार 2015 में चंडीगढ़ का ग्रीन कवर एरिया 57.03 स्क्वेयर किलोमीटर दर्ज किया गया था। जबकि 2017 में यह बढ़कर 57.56 स्क्वेयर किलोमीटर रिकॉर्ड हुआ है। लेकिन शहर में चल रहे विभिन्न प्रोजैक्ट्स की वजह से जल्द ग्रीन कवर एरिया में भी गिरावट आ सकती है।
ट्री कवर एरिया भी बढ़ा
शहर में पेड़ों की संख्या में इजाफा हुआ है। पिछले तीन वर्षों के दौरान यह इजाफा 1 स्क्वेयर किलोमीटर का बताया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015 शहर का ट्री कवर एरिया 9 स्क्वेयर किलोमीटर था। जो 2017 में बढ़कर 10 स्क्वेयर किलोमीटर हो गया।
वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जल्द प्रशासन की ओर से पुख्ता कदम नहीं उठाए गए तो इस कैटेगरी में भी चंडीगढ़ को पिछडऩा पड़ सकता है। क्योंकि शहर में इन दिनों इतने अधिक प्रोजैक्ट्स चल रहे हैं कि उनके लिए पेड़ों की कटाई धड़ल्ले से हो रही है।