Edited By bhavita joshi,Updated: 14 May, 2019 02:13 PM
71 वर्षीय बलदेव सिंह आहलुवालिया ने 10वीं क्लास का उर्दू का एग्जाम दिया और उसमें 100 में से 91 अंक हासिल करके एक मिशाल कायम की।
चंडीगढ़(वैभव): 71 वर्षीय बलदेव सिंह आहलुवालिया ने 10वीं क्लास का उर्दू का एग्जाम दिया और उसमें 100 में से 91 अंक हासिल करके एक मिशाल कायम की। उन्होंने पंजाब स्कूल एजुकेशन बोर्ड (पी.एस.ई.बी.) से उर्दू का एग्जाम दिया। आहलुवालिया ने बताया कि उन्होंने आज से 53 वर्ष पहले 1966 में दसवीं का एग्जाम दिया था। उसके बाद उन्होंने अब 2019 में दसवीं क्लास में उर्दू का एग्जाम दिया।
आहलुवालिया ने कहा कि उन्हें उर्दू भाषा इस कदर लगाव हो गया है कि वह अपने रोजमर्रा की लाइफ में उर्दू अखबार से लेकर आर्टिकल तक पढ़ते हैं। उन्होंने बताया कि उर्दू भाषा का एग्जाम देने के लिए उन्होंने कोई भी ट्यूशन नहीं ली और न ही किसी उर्दू विशेषज्ञ से संपर्क किया। उन्होंने जो भी कुछ सीखा अपने आप सीखा।
कोई भी किसी भी भाषा को सीख सकता है
आहलुवालिया ने कहा कि भाषा किसी समाज के लिए नहीं बनी होती है। हर कोई इंसान किसी भी भाषा को सीख सकता है। उनका मानना है कि उर्दू केवल मुस्लिम समाज के लिए नहीं बनी है, हिंदी केवल हिंदू, पंजाबी केवल सिखों और इंग्लिश केवल अंग्रेजों के लिए ही नहीं बनी है। कोई भी इन भाषाओं को पढ़ सकता है व रोजमर्रा की जिंदगी से लागू कर सकता है।
पाकिस्तान में हुए उर्दू के मुरीद
आहलुवालिया ने कहा कि वह 2005 में पाकिस्तान गए थे। वहां जाकर उन्होंने देखा कि उर्दू में सभी परीक्षा का आयोजन हो रहा है। यह देख कर उनका मन भी उर्दू के प्रति आकॢषत हुए। उसके बाद जब वह भारत वापिस आए तो उन्होंने उर्दू सीखने की ठानी। 12 वर्ष के लंबे अंतराल के बाद उन्होंने अखबार में एक विज्ञापन देखा जिसमें एस.डी. में उर्दू सीखने के बारे में बताया गया था। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 में लैंग्वेज विभाग ज्वाइंन किया और उर्दू की तालीम हासिल करनी शुरू की। इसी वर्ष उन्होंने उर्दू का टेस्ट क्लीयर किया जिससे उनका हौंसला ओर ज्यादा बुलंद हो गया।
लेट फीस भरी, तब जाकर परीक्षा दी
उर्दू के प्रति बलदेव का प्यार यहीं से दिखता है कि जब उर्दू एग्जाम के फॉर्म निकल रहे थे तो वह लेट हो गए थे। जिसके बाद उन्हें बोला गया कि आपको लेट फीस भरनी होगी। उर्दू परीक्षा की फीस 1050 रुपए थी मगर बलदेव ने 1000 रुपए लेट भरने के बाद फॉर्म जमा करवाया और परीक्षा दी।
सभी स्कूलों में हो उर्दू भाषा
बलदेव ने कहा कि शहर क्या देश के हर स्कूल में उर्दू भाषा को दूसरी भाषा की तरह तवज्जो दी जाए ताकि बच्चों को उर्दू भाषा के लिए प्रेरित किया जा सके। उर्दू कोई कठिन भाषा नहीं है। उन्होंने इस बात को जोर देकर कहा कि अगर 71 वर्षीय बुजुर्ग परीक्षा देकर 91 नंबर ला सकता है तो युवा पीढ़ी भी इससे बेहतर प्रदर्शन कर सकती है।