जहां संस्कृत पढऩे वाले स्टूडैंट्स, वहां टीचर नहीं

Edited By bhavita joshi,Updated: 05 Dec, 2018 11:40 AM

where sanskrit reading of students there is no teacher

देशभर के स्कूलों में संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए एम.एच.आर.डी. और सी.बी.एस.ई. बोर्ड द्वारा कदम उठाए जा रहे हैं।

चंडीगढ़(रश्मि): देशभर के स्कूलों में संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए एम.एच.आर.डी. और सी.बी.एस.ई. बोर्ड द्वारा कदम उठाए जा रहे हैं। वहीं दूसरी और चंडीगढ़ के स्कूलों का हाल यह है कि जहां संस्कृत पढने के इच्छुक छात्र हैं वहां शिक्षक नहीं है और जहां शिक्षक हैं वहां संस्कृत पढऩे के लिए बच्चे नहीं हैं। ऐसे में साफ-साफ नजर आ रहा है कि चंडीगढ़ शिक्षा विभाग, सी.बी.एस.ई. बोर्ड व एम.एच.आर.डी. द्वारा संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए दिए गए निर्देशों को कितनी गंभीरता से ले रहा है।

संस्कृत छुड़ा बच्चों को कराई जा रही होमसाइंस की पढ़ाई
जी.एम.एस.एस.एस.-23, 15 में संस्कृत पढने के इच्छुक 135 छात्रों को संस्कृत टीचर ना होने के चलते स्कूल के प्रिंसिपल्स ने उन्हें जबरदस्ती होमसांइस दिला दिया। जबकि छात्र 2 वर्षों से लगातार संस्कृत ही पढ़ते आ रहे हैं। शिक्षा विभाग द्वारा गत सितंबर माह में दोनों ही स्कूलों में संस्कृत पढ़ाने वाले टीचर संजय की ट्रंासफर सारंगपुर स्थित गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सैकेंडरी स्कूल में कर दी गई। शिक्षा विभाग द्वारा संस्कृत टीचर की बदली करने का खामियाजा इन छात्रों को उठाना पड़ रहा है।

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