अब सुरक्षित होंगे बच्चों के दफनाए हुए शव, निगम को मात देते हुए NGO ने उठाया यह बड़ा कदम

Edited By ,Updated: 03 May, 2017 07:46 AM

will now be safe dead bodies of buried children

सैक्टर-25 स्थित श्मशानघाट की बगल में बने बच्चों को दफनाने के स्थल में दफनाए गए बच्चों के शव जानवर निकाल कर ले जाते हैं कई बार नगर निगम के संज्ञान में भी यह बात लाई जा चुकी है, लेकिन आज भी बच्चों को दफनाने का स्थल किसी डंपिंग ग्राऊंड से कम नहीं है।

चंडीगढ़(हांडा) : सैक्टर-25 स्थित श्मशानघाट की बगल में बने बच्चों को दफनाने के स्थल में दफनाए गए बच्चों के शव जानवर निकाल कर ले जाते हैं कई बार नगर निगम के संज्ञान में भी यह बात लाई जा चुकी है, लेकिन आज भी बच्चों को दफनाने का स्थल किसी डंपिंग ग्राऊंड से कम नहीं है। जो काम नगर निगम करोड़ों रुपए के बजट के बावजूद नहीं कर पाया, वह काम चंडीगढ़ की एक गैर-सरकारी संस्था ने कर दिखाया है, जिसके बाद अब कोई भी जानवर दफन किए गए बच्चों के शव बाहर निकालकर नहीं नोच पाएंगे। बता दें कि नगर निगम के अधीन आते बच्चों को दफनाने के स्थल में न तो बाऊंड्री वाल की गई है, न ही यहां कोई चौकीदार है और न ही इस स्थान की देखभाल होती है, हालात ऐसे हैं कि डंपिंग ग्राऊंड भी यहां से बेहतर है। 

 

दफनाए गए शवों के लिए तैयार किया विशेष डिजाइन का कवच :
गौरी शंकर सेवा दल के अध्यक्ष और मोहाली में स्टील इंडस्ट्रीज चलाने वाले रमेश कुमार (निकू) ने दफनाए गए शवों के लिए लोहे का एक जालीनुमा कवच तैयार किया है, जिसे दफनाए गए स्थान के ऊपर ढक दिया जाएगा, इस कवच के चारों और 8 इंच लम्बी, मोटी कीलें लगी हैं, जोकि जमीन में गाढ़ दी जाती है, जिसके बाद उस स्थान को खोदा नहीं जा सकता न ही जानवर कुरेद सकेगा। 

 

रमेश व उक्त कवच को डिजाइन करने वाले विनोद कुमार के अनुसार एक कवच पर करीब 3 हजार का खर्च आया है और अभी उन्होंने 15 कवच सैक्टर-25 श्मशानघाट में रखवाए हैं, भविष्य में डिजाइन में सुधार कर और कवच भी दिए जाने की बात उन्होंने कही है। 

 

दोस्त के बच्चे को दफनाने आए तो हालात देख ठानी थी :
रमेश व विनोद कुछ समय पहले अपने एक दोस्त के बच्चे को दफनाने यहां आए थे, उस वक्त यहां के हालातों ने उन्हें चौंका दिया था, तब एक कुत्ता यहां बच्चे के शव को नोच रहा था। इस संबंध में श्मशानघाट के कर्मियों से बात हुई तो पता चला कि ऐसे हालात पहली बार नहीं बने बल्कि यहां ऐसा होना आम बात है। 

 

जब उन्हें पता चलता है तो वह जानवरों को भगा देते हैं, लेकिन 24 घंटे चौकीदारी नहीं की जा सकती। उस दिन संस्था के सदस्यों ने ठान लिया था कि शवों को बचाने के लिए इंतजाम करेंगे और दो माह के भीतर उक्त कवच बना डाला। एक कवच प्रयोग के लिए बनाया गया था जोकि सफल रहा, जिसके बाद मंगलवार को 10 कवच और यहां भेंट कर दिए गए। 

 

मंगलवार को भी दफनाया गया एक नवजात को :
करनाल के सुमित ने मंगलवार को अपने सात माह के मृत पैदा हुए नवजात को यहां दफन किया। वह अपने एक दोस्त के साथ सैक्टर-25 पहुंचे थे, जिनके मृत नवजात को विधि पूर्वक गौरी शंकर सेवा दल के सदस्यों ने दफनाया और शव वाले स्थान पर कवच लगाकर उसे सुरक्षा घेरे में ले लिया। दो माह तक शव मिट्टी में तब्दील हो जाता है जिसके बाद कवच हटा लिया जाएगा। 

 

श्मशानघाट में रहेगा दफनाए गए बच्चों का रिकार्ड :
रमेश ने बताया कि सभी कवचों के ऊपर नंबर लिखे गए हैं और जिस नंबर का कवच लगाया जाएगा, उस बच्चे की कवर का पूरा रिकार्ड रजिस्टर में दर्ज होगा और कवच का नंबर भी दर्ज रहेगा। दो माह बाद कवच हटा लिया जाएगा, जिसे दूसरी जगह इस्तेमाल किया जा सकेगा।

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