बंदर के हमले से थी युवक की हुई मौत, चंडीगढ़ प्रशासन को मुआवजा देने का आदेश

Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Dec, 2017 08:17 PM

young man died because of monkey attack  now family get compensation

बंदरों के शहर में आतंक की एक घटना में सैक्टर-22 में एक 17 वर्षीय युवक पर बंदर द्वारा ईंट गिराने से युवक की हुई मौत के मामले में हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन को युवक के परिजनों को 2 लाख रुपए अंतरिम रूप से मुआवजा देने के आदेश जारी किए हैं।

चंडीगढ़ (बृजेन्द्र): बंदरों के शहर में आतंक की एक घटना में सैक्टर-22 में एक 17 वर्षीय युवक पर बंदर द्वारा ईंट गिराने से युवक की हुई मौत के मामले में हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन को युवक के परिजनों को 2 लाख रुपए अंतरिम रूप से मुआवजा देने के आदेश जारी किए हैं। वहीं यू.टी. के चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरैस्ट एंड चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन संतोष कुमार ने शहर में बंदरों के आतंक पर जवाब में कहा कि लोग इन्हें धार्मिक विश्वास के चलते खाने को देते हैं। यदि फारेस्ट डिपार्टमैंट बंदरों को शहर से बाहर भी भेजने का अभियान चलाए तो इनके वापस आने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। 

 

मृतक युवक के परिजनों ने वर्ष 2015 में चंडीगढ़ म्यूनिसिपल कार्पोरेशन व अन्यों को पार्टी बनाते हुए यह याचिका दायर की थी। जिसमें प्रतिवादी पक्ष पर आरोप लगाया गया था कि वह आवारा जानवरों की समस्या को नजरअंदाज कर रहे हैं। ऐसे में शहरवासियों की सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करते हुए याची पक्ष ने अपने बेटे की मौत पर मुआवजे की मांग की थी। हाईकोर्ट ने केस में पाया था कि प्रथम दृष्टता में बंदर के हमले से युवक की जान जाने की बात सामने आती है। ऐसे में फरवरी, 2017 में भी हाईकोर्ट ने याची पक्ष को मुआवजे के रुप में 1 महीने के भीतर 2 लाख रुपए मुआवजा दिए जाने के आदेश दिए थे।

 

क्या यू.टी. के विभागों में तालमेल की कमी है: हाईकोर्ट
केस की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सवाल किया कि क्या चंडीगढ़ के विभिन्न विभागों में तालमेल की कमी है जिसके चलते बंदरों की समस्या से निजात पाने के लिए विस्तृत योजना को शुरू करने में अनावश्यक देरी हो रही है। यू.टी. के सीनियर स्टैंडिंग काऊंसिल सुवीर सहगल ने प्रशासक के सलाहकार से आवश्यक निर्देश प्राप्त करने की बात कही। वहीं कोर्ट को बताया कि क्या इस मामले के नीरिक्षण के लिए को-कोर्डिनेशन कमेटी बन सकती है। 

 

17 वर्षीय युवक के ऊपर बंदरों की समस्या के चलते कंक्रीट स्लैब गिरने से युवक की मौत की घटना पर हाईकोर्ट ने कहा कि यह प्रशासन और नगर निगम की ड्यूटी है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए। प्रशासन ने मामले में समय की मांग की जिस पर इसे 3 सप्ताह का समय दिया गया है। वहीं युवक की मौत की घटना की परिस्थितियों व तथ्यों को देखते हुए याची परिवार को अंतरिम रूप से 2 लाख अतिरिक्त रुपए मुआवजे के रूप में दिए जाए। केस की अगली सुनवाई जनवरी में होगी। 

 

धार्मिक विश्वास के चलते लोग खाने को देते हैं: फॉरैस्ट डिपार्टमैंट:
केस की बीती एक सुनवाई में यू.टी. के चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरैस्ट एंड चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन ने जवाब में कहा था कि न सिर्फ चंडीगढ़ बल्कि पूरे देश में इनकी समस्या है। जिसमें पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश भी शामिल है। जंगलों में रहने वाले बंदर जंगलों के कम होने के चलते अर्ध-शहरी/शहरी इलाकों में यह फैल गए। लोग इन्हें धार्मिक विश्वास के चलते खाने को देते हैं। फॉरैस्ट डिपार्टमैंट ने मुख्य रुप से बंदरों की अधिक समस्या पी.यू. पी.जी.आई. सैक्टर-26, धार्मिक स्थलों, सैक्टर-27-28 के ढाबों के पास इनकी अधिक समस्या बताई गई। वहीं कहा गया कि यदि फोरस्ट डिपार्टमैंट बंदरों को शहर से बाहर भी भेजने का अभियान चलाए तो इनके वापस आने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

 

सैक्टर 22 की मार्कीट में घटी थी घटना
सैक्टर 22 में 31 मार्च, 2015 में संबंधित घटना घटी थी। घटना में 17 वर्ष के युवक अमरजीत सिंह पर बिल्डिंग के टॉप फ्लौर से बंदर ने ईंट गिरा दी थी।  मृतक सैक्टर 22 में एक कपड़े की दुकान में काम करता था। घटना वाले दिन 31 मार्च को वह दुकान के बाहर खड़ा हुआ था। उस पर बंदर ने बिल्डिंग के ऊपर से ईंट गिरा दी थी। गंभीर हालत में युवक को पी.जी.आई. भर्ती करवाया गया था जहां 4 अप्रैल को उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई थी। इस घटना ने बंदरों के शहर में आतंक की घटना ने बड़ा रूप ले लिया था। 
 

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