Edited By ,Updated: 20 Oct, 2016 08:51 AM
व्यक्ति को उसके कर्मों का फल इसी संसार में मिल जाता है। प्रत्येक व्यक्ति को उसके कर्म ही महान बनते हैं अौर मिटाते भी हैं। चाणक्य
व्यक्ति को उसके कर्मों का फल इसी संसार में मिल जाता है। प्रत्येक व्यक्ति को उसके कर्म ही महान बनते हैं अौर मिटाते भी हैं। चाणक्य के अनुसार हर मनुष्य को उसके कर्मों का फल अवश्य मिलता है। व्यक्ति के अच्छे बुरे कर्मों के निशान उसकी मृत्यु के पश्चात भी रहते हैं। बुद्धिमान लोग सोच-विचार कर कार्य करते हैं।
* चाणक्य के अनुसार जैसे एक गाय का बछड़ा सैंकड़ों गायों में अपनी मां के पीछे चलता है। उसी प्रकार कर्म व्यक्ति के पीछे चलता है।
* विद्यार्थी को काम, क्रोध, लोभ, स्वादिष्ट भोजन की चाहत, श्रंगार, अधिक नींद इन 6 बातों का त्याग कर देना चाहिए।
* ऐसे लोग जो दूसरों के कार्य में बाधा पैदा करते हैं, घमंड़ी, स्वार्थी होते हैं, धोखेबाज, दूसरों से घृणाा करने वाले, जो बोलते समय मुंह में मिठास और ह्रदय में क्रूरता रखते हैं, वह बिल्ली के समान होते हैं।
* जो दूसरों की प्रसिद्धि से जलते हैं। वे दूसरों के बारे में अपशब्द कहते हैं क्योंकि ऐसे लोग उन जैसे नहीं बन सकते।
* ऐसे लोग जो भविष्य के लिए तैयार हैं। जो प्रत्येक परिस्थिति का सामना चतुरता से करे। ये दोनों व्यक्ति सुखी रहते हैं परंतु जो लोग नसीब के सहारे रहता है वह बर्बाद हो जाता है।