Edited By ,Updated: 14 Jun, 2016 09:29 AM
आचार्य चाणक्य की नीतियों में सुखी जीवन के कई सूत्र छिपे हैं, जिन्हें आज भी प्रयोग में लाया जाता है। इनका अनुसरण करके हम अपने जीवन को खुशहाल बना सकते हैं।
आचार्य चाणक्य की नीतियों में सुखी जीवन के कई सूत्र छिपे हैं, जिन्हें आज भी प्रयोग में लाया जाता है। इनका अनुसरण करके हम अपने जीवन को खुशहाल बना सकते हैं।
आचार्य ने ऐसे तीन लोगों के बारे में बताया है जिनके लिए जितना भी अच्छा कर लें अथवा सोच लें अंत में स्वयं को दुख ही झेलना पड़ता है इसलिए ऐसे लोगों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
मूर्खाशिष्योपदेशेन दुष्टास्त्रीभरणेन च। दु:खिते सम्प्रयोगेण पंडितोऽप्यवसीदति।।
अर्थात- मूर्ख विद्यार्थी को उपदेश देना, परपुरुषगामिनी महिला का पालन-पोषण करना अौर उदास इंसान के साथ किसी भी प्रकार का व्यवहार करने पर दुख झेलना पड़ता है।
आचार्य चाणक्य के अनुसार किसी मूर्ख विद्यार्थी को शिक्षा देने का कोई फायदा नहीं होता। मूर्ख को जितना भी समझा लें परंतु समझाने वाले को अंत में दुख की ही प्राप्ति होती है। किसी झगड़ालू, दुष्ट, बुरी प्रवृति वाली अौर परपुरुषगामिनी महिला का पालन-पोषण करने वाले इंसान को कदापि सुख की प्राप्ति नहीं होती। ऐसी महिलाअों का जितना भी भला कर लें अंत में दुख ही सहना पड़ता है। दुखी अौर रोगी व्यक्ति के साथ जितना भी अच्छा व्यवहार कर लें लेकिन उससे रोग होने का डर बना रहता है। इसलिए इन तीनों प्रकार के लोगों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।