चीन में भारतीय वस्तुओं का बढ़ा निर्यात, लेकिन अयात में आई कमी

Edited By Yaspal,Updated: 07 Apr, 2019 07:49 PM

india extends exports of goods to china but china s export market is sluggish

भारत में चीन से होने वाले आयात में कुछ सुस्ती दिखाई दी है। लेकिन भारत से चीन को होने वाले निर्यात की गति रौनक बढ़ी है। पीएचडी वाणिज्य एवं उद्योग मंडल के आंकड़ों के मुताबिक 2018-19 के पहले 10 महीने में एक साल पहले की इसी....

नई दिल्ली: भारत में चीन से होने वाले आयात में कुछ सुस्ती दिखाई दी है। लेकिन भारत से चीन को होने वाले निर्यात की गति रौनक बढ़ी है। पीएचडी वाणिज्य एवं उद्योग मंडल के आंकड़ों के मुताबिक 2018-19 के पहले 10 महीने में एक साल पहले की इसी अवधि के मुकाबले भारतीय उत्पादों का निर्यात 40 प्रतिशत बढ़कर 14 अरब डॉलर पर पहुंच गया। 

उद्योग संगठन का कहना है कि इससे पहले 2017-18 के शुरुआती 10 महीनों (अप्रैल से जनवरी) के दौरान चीन को 10 अरब डॉलर का निर्यात किया गया था। उद्योग मंडल के महासचिव डॉक्टर महेश वाई. रेड्डी ने भारतीय निर्यातकों की सराहना करते हुए कहा कि पिछले कुछ महीने चीन को निर्यात बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन फिर भी चीन से आयात कम हुआ है। रेड्डी ने बताया कि 2017-18 के पहले 10 महीने में चीन से 24 प्रतिशत आयात बढ़ा था। वहीं पिछले वित्त वर्ष 2018-19 के 10 महीने में आयात पांच प्रतिशत घट गया। रेड्डी ने कहा कि इस दौरान चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 53 अरब डॉलर से कम होकर 46 अरब डॉलर पर आ गया। 

वर्तमान में चीन भारतीय उत्पादों का तीसरी बड़ा निर्यात बाजार है। वहीं चीन से भारत सबसे ज्यादा आयात करता है। दोनों देशों के बीच 2001-02 में आपसी व्यापार महज तीन अरब डॉलर था जो 2017-18 में बढ़कर करीब 90 अरब डॉलर पर पहुंच गया। चीन से भारत मुख्यत: इलेक्ट्रिक उपकरण, मेकेनिकल सामान, कार्बनिक रसायनों आदि का आयात करता है। वहीं भारत से चीन को मुख्य रूप से कार्बनिक रसायन, खनिज ईंधन और कपास आदि का निर्यात किया जाता है। पिछले एक दशक के दौरान चीन ने भारतीय बाजार में तेजी से अपनी पैठ बढ़ाई लेकिन अप्रैल- जनवरी 2018-19 में इसमें गिरावट देखी गई है।

हाल के वर्षों में भारत और चीन के बीच उद्योगों के बीच आंतरिक तौर पर व्यापार का विस्तार हुआ है। रेड्डी ने कहा भारत जेनरिक दवाओं का सबसे बड़ा निर्माता है लेकिन चीन में कड़े गैर-शुल्कीय प्रतिबंध होने की वजह से चीन को इन दवाओं का निर्यात नहीं हो पा रहा है। भारतीय दवा कंपनियां जहां अमेरिका और यूरोपीय संघ को जेनरिक दवाओं का निर्यात कर रही हैं वहीं यह आश्चर्य जनक है कि चीन को इनका निर्यात नहीं हो पा रहा है। रेड्डी ने कहा कि चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा काफी बड़ा है लेकिन विदेश व्यापार नीति 2015-20 में हाल में हुये बदलाव के बाद आने वाले वर्षों में व्यापार घाटा कम होने की उम्मीद है। चीन में बने उत्पादों को लेकर सोच में बदलाव आने और भारतीय उपभोक्ताओं के उपभोग के तौर तरीकों में बदलाव से व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में बदलने लगा है। 

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