कॉल ड्रॉप मामला: दूरसंचार कंपनियों की याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हुआ HC

Edited By ,Updated: 15 Mar, 2016 04:11 PM

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने कॉल ड्राप पर मौजूदा कानून के तहत कार्रवाई करने और कॉल ड्राप पर पूरे शुल्क की वापसी की मांग करने वाली...

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने कॉल ड्राप पर मौजूदा कानून के तहत कार्रवाई करने और कॉल ड्राप पर पूरे शुल्क की वापसी की मांग करने वाली याचिका पर आज अपना आदेश 25 अप्रैल तक के लिए सुरक्षित रखा है। मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंत नाथ की पीठ ने कहा, ‘‘हम इस पर विचार करेंगे और आदेश पारित करेंगे।’’ 


सुनवाई शुरू होते ही दूरसंचार कंपनियों के वकील ने अदलता को बताया कि उच्चतम न्यायालय, के काल ड्राप मामले में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकार की अधिसूचना को सही ठहराने के उच्च न्यायालय के पहले के एक निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। लेकिन याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि उनकी याचिका में उल्लिखित लगभग 50 प्रतिशत मुद्दे उस मामले से अलग हैं जिनकी सुनवाई उच्चतम न्यायालय कर रहा है। 


वकील ने कहा कि दूरसंचार कंपनियां ग्राहकों से कॉल ड्राप की स्थिति में शुल्क नहीं वसूल सकतीं। इससे पहले काल ड्राप के एवज में ग्राहकों को मुआवजे के भुगतान मुद्दे पर ट्राइ के नियमों के खिलाफ सेल्यूलर परिचालकों द्वारा दायर याचिका उच्च न्यायालय ने खारिज कर दी थी और उन्हें काल ड्राप के लिए उपभोक्ताओं को नियामक की अधिसूचना के अनुसार भरपाई करने का आदेश दिया था। याचिका में आरोप है कि दूरसंचार नियामक कॉल ड्राप की बढ़ती शिकायत के बावजूद मोबाइल परिचालकों के खिलाफ कार्रवाई करने में असफल रहा है। 


उन्होंने कहा, ‘‘मोबाइल कंपनियां ड्राप हुई काल के लिए शुल्क वसूल रही हैं। उस कॉल के लिए जो पूरी नहीं हुई और सेवा नहीं मिली, लेकिन ट्राइ कानून के मुताबिक उनके खिलाफ कार्रवाई करने में असफल रहा है।’’ वकील विराग गुप्त की आेर से दायर याचिका में दावा किया गया है, ‘‘ट्राइ की लापरवाही के कारण दूरसंचार सेवा प्रदाता भी अच्छी सेवा प्रदान करने के संबंध में लापरवाह हो गए।’’ 

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