चारधाम यात्रा पर न जा सकें तो पुण्य पाने के लिए घर पर करें ये काम

Edited By ,Updated: 06 May, 2016 02:15 PM

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हिंदू धर्म के अनुयायियों का मानना है की चार धाम यात्रा की अत्यधिक महत्ता है। इन्हें पवित्र तीर्थ कहा जाता है। ये चार धाम भारत की चारों दिशाओं में स्थित हैं।

हिंदू धर्म के अनुयायियों का मानना है की चार धाम यात्रा की अत्यधिक महत्ता है। इन्हें पवित्र तीर्थ कहा जाता है। ये चार धाम भारत की चारों दिशाओं में स्थित हैं। उत्तर में बद्रीनाथ, दक्षिण रामेश्वर, पूर्व में पुरी और पश्चिम में द्वारिका। इन धामों की महिमा का प्रचार आद्यशंकराचार्य जी ने किया था। कहते हैं की उन्होंने 4 धाम व 12 ज्योर्तिलिंग को सुचीबद्ध किया था। 

कुछ दिनों में चार धाम यात्रा का आरंभ हो रहा है। आपकी भी इच्छा हो इस धाम की यात्रा करने की लेकिन किसी कारणवश न जा सकें तो घर पर यह उपाय करके भी पुण्य अर्जित कर सकते हैं। 

शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव के कई नाम हैं, इनमें एक नाम केदारनाथ भी है। केदारनाथ बारह ज्योर्तिलिंगों में से एक हैं। शिव केदारनाथ नाम से हिमालय की ऊंची चोटी पर विराजमान हैं। पुराणोक्त सतयुग में भगवान विष्णु ने नर-नारायण के रूप में अवतारण लिया। अलकनंदा नदी के तट पर नर और नारायण ने शिव की घोर तपस्या की। नर और नारायण की प्रार्थना पर केदारनाथ स्वरुप में ज्योर्तिलिंग प्रकट हुआ तथा भगवान विष्णु में बद्रीनाथ स्वरुप में अपनी स्थापना की। 

शिव का केदार स्वरुप और विष्णु का बद्री स्वरुप परम मुक्ति प्रदायक है। बद्री-केदार का संयुक्त विदिवत पूजन व्यक्ति के लिए सफलता के द्वार खोल देता है। बद्री-केदार का पूजन व्यक्ति के लिए सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है। विधिवत पूजन से मृत्युंजय भगवान शंकर और पालनहार विष्णु दोनों का आशिर्वाद मिलता है। बस आवश्यकता है पूरी श्रद्धा और विश्वास की।

बद्री-केदार उपाय: केसरिया रंग के कपड़े पहनें पूजन के लिए कुशा के आसन का इस्तेमाल करें। शुद्ध घी में केसर मिलाकर दीपक करें। चंदन की धूप जलाएं। गेंदे के फूल चढाएं। पारद शिवलिंग अथवा बद्री-केदार स्वरुप हरिहर के चित्र पर केसर-चंदन का लेप लगाएं। दही में केसर और शहद मिलाकर पारद शिवलिंग अथवा बद्री-केदार स्वरुप हरिहर के चित्र पर अर्पित करें। पीपल के पत्ते पर मिष्ठान रखकर अर्पित करें। तत्पश्चात हल्दी की गांठ हाथ में लेकर इस मंत्र का 108 बार जाप करें।

मंत्र: ॐ वं विष्णुवल्लभाय ह्रीं नमः शिवाय।।

जाप पूरा होने के बाद हल्दी की गांठ दोनों हाथों में लेकर हरी और हर से प्रार्थना करें। तथा इच्छित वर मांगें। पूजा संपूर्ण होने के उपरांत ये हल्दी की गांठ घर की उत्तर-पूर्व दिशा में बने किसी आले में छुपाकर रख दें। 43 दिन के बाद इस हल्दी की गांठ को जल में प्रवाहित कर दें। इस उपाय से शिव और हरी दोनों का वरद हस्त भक्त पर बना रहता है। भक्त की सभी इच्छाओं की पूर्ती होती है। भोग, मोक्ष और काम सभी वर्गों में सफलता प्राप्त होती है।

आचार्य कमल नंदलाल

ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com 

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