गणपति साधना से खुलते हैं उच्च लोकों के द्वार, होती है मोक्ष की प्राप्ति

Edited By ,Updated: 05 Sep, 2016 12:05 PM

lord gnesha

'गण' का अर्थ है जन समूह (आम लोग) और 'ईश' का अर्थ है सर्वोच्च। सामान्य आदमी के लिए, भगवान गणेश सर्वोच्च देव हैं, जिन्हें प्रथम पूज्य के रूप में

'गण' का अर्थ है जन समूह (आम लोग) और 'ईश' का अर्थ है सर्वोच्च। सामान्य आदमी के लिए, भगवान गणेश सर्वोच्च देव हैं, जिन्हें प्रथम पूज्य के रूप में भी जाना जाता है। ये आध्यात्मिक जगत के संरक्षक है और उच्च आयामों में प्रवेश प्रदान करने वाली प्रथम ऊर्जा भी हैं।

 

हाथी का सिर सर्वोच्च बुद्धि का प्रतीक है, मानव शरीर के साथ बड़ा पेट, नाभि पर स्थित  मणिपूरक चक्र में संग्रहीत ऊर्जा का प्रतीक है। गणेश पुत्र है महादेव के, जो परम पुरुष हैं और आदि शक्ति जो समस्त सृजन की माता हैं। रिद्धि (समृद्धि) और सिद्धि (आध्यात्मिक शक्तियां) गणपति से विवाहित हैं जिससे यह संकेत मिलता है कि गणपति ऐसी ऊर्जा हैं जो सांसारिक और आध्यात्मिक वरदान प्रदान करती है और जिससे शास्त्रों में दिए तत्वज्ञान कि पुष्टि भी हो जाती है कि उच्च लोक-मोक्ष या मुक्ति की प्राप्ति के लिए, सांसारिक सुखों की प्राप्ति आवश्यक है।

 

सनातन क्रिया में, साधक को सबसे पहले, गणपति साधना और गणपति जाप का अनुभव दिया जाता है, जिससे भू-लोक या भौतिक आयाम से परे उच्च लोकों या उच्च आयामों के द्वार खुलते हैं। जाप और माला गुरु से ही प्राप्त हो सकते हैं जो मंत्र में ऊर्जा प्रवाहित करते हैं जिससे उसकी सिद्धि का मार्ग बनता है। 

 

जो साधक विभिन्न मंत्र सिद्धियों का गंभीरता से अभ्यास कर रहे हैं, उन्होनें विभिन्न देवताओं की भौतिक अभिव्यक्ति का अनुभव किया है। जाप करते हुए, माला फेरना महत्वपूर्ण है। जब माला घूमती है, तब मंत्र की शक्ति, माला और उसके मेरु में संचित हो जाती है। विभिन्न तांत्रिक मंत्रों का अागे कि साधना में प्रयोग है, उनका उपयोग एक विशिष्ट प्रयोजन के लिए किया जा सकता है और यह उपयोग मेरु के माध्यम से ही होता है।

 

गणेश चतुर्थी ऐसा दिन है जब मनुष्य भगवान गणेश की ऊर्जा को बड़ी आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। इस दिन पर,  गुरु के मार्गदर्शन के अंतर्गत,पवित्र भाव, मंत्र (उच्चारण) और प्रसाद (सामग्री और समीधा) सहित किए जाने वाले यज्ञ से सूक्ष्म आयामों के द्वार खुल जाते हैं और मनुष्य अपनी यथार्थ क्षमता को साकार कर सकता है। इस तरह यज्ञ से प्रतिभागियों के घर तथा कर्मों का शुद्धिकरण होता है, जिससे इच्छाओं और विचारों की अभिव्यक्ति की प्रक्रिया में तेजी अा जाती है।

 

योगी अश्विनी जी 

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