Edited By ,Updated: 12 Jan, 2016 01:39 PM
भारत में पर्वों का निर्धारण चंद्रकलाओं द्वारा निर्धारित कालगणना एवं तिथि क्रमानुसार किया जाता है। यही कारण है कि बहुप्रचलित ईस्वी सन की गणना में त्यौहार आगे-पीछे मनाए जाते हैं।
भारत में पर्वों का निर्धारण चंद्रकलाओं द्वारा निर्धारित कालगणना एवं तिथि क्रमानुसार किया जाता है। यही कारण है कि बहुप्रचलित ईस्वी सन की गणना में त्यौहार आगे-पीछे मनाए जाते हैं। होली, दीवाली, दशहरा, जन्माष्टमी आदि सब इसका उदाहरण हैं। भारतीय पर्वों में केवल मकर संक्रांति ही एक ऐसा पर्व है जिसका निर्धारण सूर्य की गति के अनुसार होता है। इसी कारण मकर संक्रांति प्रतिवर्ष 14 जनवरी को मनाया जाता है।
सूर्य जिस राशि पर स्थिर हों उसे छोड़ कर जब दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं उस काल विशेष को ही संक्रांति कहते हैं। 2016 में मकर संक्रांति 15 जनवरी को आएगी। इससे पहले 2012 में भी मकर संक्रांति 15 जनवरी को ही मनाई गई थी। वर्ष 2016 के बाद 2019, 2020 में भी संक्रांति 15 जनवरी को है, जबकि बीच में 2017, 2018 2021 में संक्रांति 14 जनवरी को आएगी।
ज्योतिषीय आकलन के अनुसार इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। यूं तो प्रति मास ही सूर्य बारह राशियों में एक से दूसरी में प्रवेश करता रहता है। सूर्य के एक राशि से दूसरी में प्रवेश करने को संक्रमण या संक्रांति कहा जाता है। मकर राशि में प्रवेश करने के कारण यह पर्व मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
2016 में सूर्य 14 जनवरी को आधी रात के उपरांत 1.26 बजे मकर राशि में प्रवेश करेगा इसलिए संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। संक्रांति का पुण्यकाल 15 जनवरी को सूर्योदय से सायंकाल 5.26 मिनट तक रहेगा। इस कारण मकर संक्रांति का महत्व 15 जनवरी को रहेगा।