मकर संक्रांति पर क्यों उड़ाई जाती है पतंग?

Edited By ,Updated: 14 Jan, 2016 10:08 AM

makar sankranti kite

ग्रंथ 'रामचरितमानस' के आधार पर श्रीराम ने अपने भाइयों के साथ पतंग उड़ाई थी। इस संदर्भ में 'बालकांड' में उल्लेख मिलता है- 'राम इक दिन चंग उड़ाई। इंद्रलोक में पहुँची जाई॥'

ग्रंथ 'रामचरितमानस' के आधार पर श्रीराम ने अपने भाइयों के साथ पतंग उड़ाई थी। इस संदर्भ में 'बालकांड' में उल्लेख मिलता है-
'राम इक दिन चंग उड़ाई।
इंद्रलोक में पहुँची जाई॥'
 
बड़ा ही रोचक प्रसंग है। पंपापुर से हनुमान जी को बुलवाया गया था। तब हनुमान जी बाल रूप में थे। जब वे आए, तब 'मकर संक्रांति' का पर्व था। श्रीराम भाइयों और मित्र मंडली के साथ पतंग उड़ाने लगे। कहा गया है कि वह पतंग उड़ते हुए देवलोक तक जा पहुंची। उस पतंग को देख कर इंद्र के पुत्र जयंत की पत्नी बहुत आकर्षित हो गई।
 
वह उस पतंग और पतंग उड़ाने वाले के प्रति सोचने लगी-
'जासु चंग अस सुन्दरताई।
सो पुरुष जग में अधिकाई॥'
 
इस भाव के मन में आते ही उसने पतंग को हस्तगत कर लिया और सोचने लगी कि पतंग उड़ाने वाला अपनी पतंग लेने के लिए अवश्य आएगा। वह प्रतीक्षा करने लगी। उधर पतंग पकड़ लिए जाने के कारण पतंग दिखाई नहीं दी, तब बालक श्रीराम ने बाल हनुमान को उसका पता लगाने के लिए रवाना किया। 
 
पवन पुत्र हनुमान आकाश में उड़ते हुए इंद्रलोक पहुंच गए। वहां जाकर उन्होंने देखा कि एक स्त्री उस पतंग को अपने हाथ में पकड़े हुए है। उन्होंने उस पतंग की उससे मांग की। 
 
उस स्त्री ने पूछा, "यह पतंग किसकी है?" 
 
हनुमान जी ने रामचंद्र जी का नाम बताया। इस पर उसने उनके दर्शन करने की अभिलाषा प्रकट की। हनुमान यह सुनकर लौट आए और सारा वृत्तांत श्रीराम को कह सुनाया। श्रीराम ने यह सुनकर हनुमान को वापस वापस भेजा कि वे उन्हें चित्रकूट में अवश्य ही दर्शन देंगे। हनुमान ने यह उत्तर जयंत की पत्नी को कह सुनाया, जिसे सुनकर जयंत की पत्नी ने पतंग छोड़ दी। कथन है कि-
'तिन तब सुनत तुरंत ही, दीन्ही छोड़ पतंग।
खेंच लइ प्रभु बेग ही, खेलत बालक संग।' 
 
अद्भुद प्रसंग के आधार पर पतंग की प्राचीनता का पता चलता है। 

ज्योतिर्विद् प. सोमेश्वर जोशी 

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