जानिए, योगियों की लंबी उम्र का राज क्या था

Edited By ,Updated: 30 Nov, 2015 11:03 AM

what was the secret of longevity of yogis

कहा जाता है कि सामान्य हमारी श्वास एक मिनट में 10 से 12 होती है I क्रोध की अवस्था में यही श्वांसों की गति 20 से 22 प्रति मिनट हो जाती है और जब हम परमात्मा से योग लगाते हैं तो श्वासों की गति 6 से 8 हो जाती है I निष्कर्ष यही निकलता है कि एक बार एक...

कहा जाता है कि सामान्य हमारी श्वास एक मिनट में 10 से 12 होती है I क्रोध की अवस्था में यही श्वांसों की गति 20 से 22 प्रति मिनट हो जाती है और जब हम परमात्मा से योग लगाते हैं तो श्वासों की गति 6 से 8 हो जाती है I निष्कर्ष यही निकलता है कि एक बार एक मिनट तक क्रोध करने से हम अपनी आयु के 8 से 10 श्वास खो देते हैं और शांत रह कर परमात्मा का ध्यान करने से 12 से 14 श्वास बचा लेते हैं इसलिए योगिओं कि आयु 150 वर्ष से ऊपर होती थी I 

बचें क्रोध की मेहमान नवाजी से   

क्रोध एक ऐसा शत्रु है जो कुछ सेकण्ड के लिए आता है और अच्छे  भले इंसान को जेल की हवा भी खिला सकता है तो रिश्तों को भी तार-तार कर सकता है तथा आने वाली पीढीयों को भी वैर और ईर्ष्या के मार्ग पर ले जा सकता है क्योंकि क्रोध का अचार और मुरब्बा वैर और ईर्ष्या है जो समय बीतने के साथ-साथ जिंदगी में रस जाता है फिर तो आदतन क्रोध करना व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाता हैI 

इस बीज का आने वाली पीढीयों तक फल के रूप में देखा जा सकता है I क्यों ना इस शत्रु के बीज को ही हम खत्म करें ताकि आने वाली पीढ़ियां सुख, शांति, प्रेम, आनंद का फल खाएंI हमें केवल क्षमाशीलता का बीज बोना है I जिसका फल स्वत: ही रसीला होगाI  क्रोध का नाम लेते ही हमारे सामने एक ऐसा चेहरा आता है जिसकी आंखें लाल, भौहें तनी, मूंछें बड़ी-2 होती हैं I इस चेहरे के प्रति हमारा भाव नफरत और भय का मिला जुला होता है लेकिन हममें से कोई भी ऐसा नहीं होगा जिसे क्रोध का अनुभव न हो वैसे तो क्रोध को भूत, अग्नि,चंडाल का नाम दिया है I फिर भी यह हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है I

हम हर छोटी-2 बात पर क्रोध करते हैं और हमें पता ही नही चलता कि यह अनचाहा मेहमान कब आ जाता है हम दिन में कई बार इसकी मेहमान नवाजी करते हैं चाहे रात के 12 बजे हो या दिन के 2 इसके लिए आने-जाने के दरवाजे 24 घंटे खुले हैं। 

क्रोध का औचित्य क्या हमने कभी चैक किया है कि जो बात हम क्रोध से करते हैं उस बात को शांति प्यार से भी किया जा सकता है। प्यार से तो शेर को भी वश में किया जा सकता है वैर से नहीं I देखें हमारा क्रोध करना नाजायज तो नहीं क्योंकि 90% हमारा क्रोध नाजायज होता है चाहे तो आज ही चैक कर लें I क्रोधी को देख क्रोध करना माना गुलाम बनना शांत रहना माना राजा बनना I 

हम जिस तरह सौ के नोट को जेब में रख कर चैक करते हैं कि कहां- 2 खर्च किया , क्या हमने ये भी कभी चैक किया है हमने दिन में कितनी बार क्रोध किया? और उसमें कितना जायज था ? यदि हम चैक करें तो पाएंगे कि 95 % हमारा क्रोध नाजायज होता है I यह क्रोध हमें अंदर ही अंदर इतना खोखला कर देता है कि जैसे कोई अमीर फिजूल खर्ची से कंगाल हो जाता है I यह क्रोध, टेंशन ,डिप्रेशन, रिश्तों में कड़वाहट, जीवन को बोझिल व आयु को छोटा बना देता है I 

क्रोध को जीतने का सरल उपाय है अपने दिन की शुरुआत सकारात्मक सोच के साथ मन्दिर ,गुरूद्वारे जाना या घर में बैठ एकाग्र मन से परमात्मा को याद करना, हम शरीर को चाय- नाश्ता देकर रिचार्ज करते हैं तो मोबाईल को लाइट से जोड़ कर मन को चार्ज करने के लिए उस परमात्म पावर हॉउस से जुड़ना आवश्यक है जितनी चार्जिंग पावरफुल होगी उतना मन शांत होगा आओ इसी क्षण मन को चार्ज करें और प्रफुलित रहने का प्रयत्न करें।

क्रोध का दूसरा कारण है सामने वाले को क्रोधित देख क्रोध करना फिर तो हम गुलाम हो गए। सामने वाला क्रोध करे तो हम भी क्रोध करें क्या हमारी स्वयं की स्तिथि नहीं है? हमें तो बस याद दिलाना है कि क्रोध का भूत आ रहा है, भाग सकते हो तो भगाओ या खुद शांत रहो, चुप हो जाओ यह अपने आप में एक जवाब हैI  कुछ लोग कहते हैं किसी को झूठ बोलते या अपराध करते देख क्रोध आ जाता है क्या क्रोध अपने आप में अपराध नहीं है? क्षणिक क्रोध भी परिवार बर्बाद कर सकता है ,जेल की हवा खिलवा सकता है, सारी जिन्दगी का पश्चाताप दे सकता है I 

क्रोध के कारण हम डिप्रेशन, टेंशन सबंध विच्छेद व अनेक बिमारिओं का शिकार हो जाते हैं एक रिसर्च के अनुसार हम जितना अधिक क्रोध करते हैं उतना पाचक रसों का स्राव कम होता है जिससे अपच, एसिडिटी व मधुमेह आदि रोग लग जाते हैं यह तो ठीक वैसे ही हमें जलाता है जैसे कि सूखी लकड़ी अग्नि में जल जाती है दूसरा कोई उसका सेक ले या न ले। 

आओ हम सभी मिल कर इसकी चेकिंग शुरू करें सुबह उठते ही धारणा करें कि मुझे आज क्रोध मुक्त होने का प्रयास करना है और रात को चेकिंग करनी है कि इस शत्रु को कितनी बार जीता है? माना आज 20 कि बजाय 10 बार आया तो 10 बार तो हमने जीत लिया। प्रयास से धीरे–धीरे इस शत्रु पर जीत पानी है यदि फिर भी आता है तो अपने आप को सजा दो चाहे खाना छोड़ कर, चाहे प्रिय वस्तु छोड़ कर या साधना में बैठ कर जो काम कठिन लगता है वो सजा अपने लिए निश्चित करें  गुलाम बनने कि बजाए इस अज्ञात शत्रु को गुलाम बनाएं I  घर से अशांति, दरिद्रता व रोगों को भगाएं। 

बी . के . सीमा डोडा 

फाजिल्का

                                                             

 

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