Edited By Niyati Bhandari,Updated: 17 Sep, 2018 07:31 AM
धन-दौलत ऐसी चीज़े हैं, जो जितनी आती है उसे पाने की इच्छा और बढ़ती जाती है। श्री और समृद्धि की देवी महालक्ष्मी को चंचला भी कहते हैं अर्थात जो कभी एक स्थान पर रूकती नहीं। श्री का अर्थ है व्यक्ति की हैसियत। जिसे बनाने के लिए व्यक्ति दिन-रात मेहनत करता...
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धन-दौलत ऐसी चीज़े हैं, जो जितनी आती है उसे पाने की इच्छा और बढ़ती जाती है। श्री और समृद्धि की देवी महालक्ष्मी को चंचला भी कहते हैं अर्थात जो कभी एक स्थान पर रूकती नहीं। श्री का अर्थ है व्यक्ति की हैसियत। जिसे बनाने के लिए व्यक्ति दिन-रात मेहनत करता है।
Kundli Tv- ये है माता महालक्ष्मी व्रत की पूजन विधि
संपत्ति को बढ़ाने का सबसे सरल तरीका है 16 दिनों तक चलने वाला महालक्ष्मी व्रत करना। इस व्रत का आरंभ भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होता है और अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर विश्राम होता है। 16 दिन तक मां लक्ष्मी का विधि-विधान से पूजन करने पर धन के भंडार कभी खाली नहीं होते, आने वाली पीढ़िया भी सुख-ऐश्वर्य से परिपूर्ण जीवन व्यतित करती है।
2018 में माता महालक्ष्मी व्रत 17 सितंबर सोमवार राधा अष्टमी के दिन से शुरू होगा। यह महापर्व सूर्य के स्थिति से संबंधित है। सूर्य का वार्षिक प्रारंभ मेष से होता है। अर्धवार्षिक काल में जब सूर्य सिंह को पार करता हुआ कन्या में आता है। इन्हीं 16 दिनों में महालक्ष्मी के स्वरूप की पूजा का विधान है। शास्त्रों में यथासंभव इस व्रत का आरंभ ज्येष्ठा नक्षत्र के चंद्र से करना चाहिए। इस व्रत में षोडश यानि 16 की संख्या की महत्वता है जैसे 16 वर्षों, 16 दिन, 16 नर-नारियों, 16 पुष्प-फल, 16 धागों व 16 गांठों का डोरक इत्यादि।
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