Kundli Tv- नाग पंचमी: 38 साल बाद बनेगा दुर्लभ संयोग, न करें ये काम

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 14 Aug, 2018 11:29 AM

38 years later rare coincidence do not work

सावन में त्योहारों की बोछार रहती है। भोले बाबा को खुश करने के लिए लगभग हर दिन किसी न किसी पर्व के रूप में मनाया जाता है।

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सावन में त्योहारों की बोछार रहती है। भोले बाबा को खुश करने के लिए लगभग हर दिन किसी न किसी पर्व के रूप में मनाया जाता है। 15 अगस्त, बुधवार को नाग पंचमी है, इस दिन भगवान शिव के गले के हार नाग देवता की पूजा करी जाती है। कहते हैं इस दिन नाग देवता को दूध पिलाना चाहिए और नाग मंदिर में जाकर दूध अर्पित किया जाना चाहिए। विज्ञान के अनुसार सांपों को दूध नहीं पिलाना चाहिए। इससे उन्हें आंत में इन्‍फेक्‍शन हो जाता है। ये रेप्‍टाइल जीव है, जो दूध को डाइजेस्ट नहीं कर सकते। दूध पीलाने से इनकी मौत भी हो सकती है। इस दिन को गरुड़ पंचमी भी कहा जाता है इसलिए इस दिन नाग देवता के साथ श्री हरि विष्णु के वाहन गरुड़ की भी पूजा करने का विधान है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार धरती का भार शेषनाग ने अपने सिर पर उठा रखा है। अत: इनकी पूजा जरूर की जानी चाहिए।
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2018 में 38 सालों बाद नाग पंचमी पर दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस दिन सर्वार्थसिद्ध और रवि योग रहेगा। जो की अबूझ मुहूर्त माना जाता है। नाग पंचमी के दिन हस्त नक्षत्र और साध्य योग रहेगा। जोकि दुर्लभ योग माना जाता  है। उत्तर भारत में सावन के महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी मनाए जाने का विधान है, वहीं अन्य स्थानों पर ये पर्व कृष्ण पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है।  
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क्या न करें- वैसे तो इस दिन भूमि आदि नहीं खोदनी चाहिए परंतु उपवास करने वाला मनुष्य सांयकाल को भूमि की खुदाई कभी न करे। नागपंचमी के दिन धरती पर हल न चलाएं, देश के कई भागों में तो इस दिन सुई धागे से किसी तरह की सिलाई आदि भी नहीं की जाती तथा न ही आग पर तवा और लोहे की कड़ाही आदि में भोजन पकाया जाता है। किसान लोग अपनी नई फसल का तब तक प्रयोग नहीं करते जब तक वह नए अनाज से नाग देवता को रोट न चढ़ाएं।
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