Edited By Jyoti,Updated: 13 May, 2019 02:25 PM
अक्सर आपने लोगों को कहते सुना होगा पैसा तो हाथ की मैल है। कहने का भाव ये है कि यह पल में आता है तो दूसरे ही पल चला आता। इसलिए बहुत से लोग चाहकर भी पैसा जोड़ नहीं पाते।
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अक्सर आपने लोगों को कहते सुना होगा पैसा तो हाथ की मैल है। कहने का भाव ये है कि यह पल में आता है तो दूसरे ही पल चला आता। इसलिए बहुत से लोग चाहकर भी पैसा जोड़ नहीं पाते। अब इस बात से तो कोई अंजान नहीं है कि संसार में सुखी-सुखी जीने के लिए पैसा कितना ज़रूरी है इसलिए इसको भविष्य के लिए हर कोई बचा कर रखना चाहता है। मगर बहुत से लोग लाख कोशिशों के बाद भी इसे जमा नहीं कर पाता। तो अगर आपके साथ भी दिक्कत है तो चलिए हम आपको कुथ ऐसा बताते है कि जिससे आपका धन सुरक्षित तो रहेगा साथ ही उसमें बढ़त भी होगी।
महाभारत के प्रमुख पात्र महात्मा विदुर जी द्वारा बताई गई एक नीति में लक्ष्मी यानि धन का अधिकारी बनने के लिए विचार और कर्म से चार अहम सूत्र बताए गए हैं। कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इन चार तरीके को अपनाता है वह दिनों में ही धनवान बन जाता है।
श्लोक-
श्रीर्मङ्गलात् प्रभवति प्रागल्भात् सम्प्रवर्धते।
दाक्ष्यात्तु कुरुते मूलं संयमात् प्रतितिष्ठत्ति।।
ऊपर दिए गए श्लोक में धन को बचाने के 4 सूत्र बताए गए हैं। कहा जाता है कि अगर कोई जातक ईमानदारी से इन 4 सूत्रोपर अपनाता है उसके धन में बढ़ोत्तरी होने लगती है। तो आईए जानते हैं वो 4 तरीक जिससे आप अपने धन को बचा और बढ़ा सकते हैं।
ये तो सब ने सुना ही होगा कि अच्छे कर्म करने वाले जातक के घर लक्ष्मी स्थाई तौर पर आती हैं। इसका मतलब मेहनत और ईमानदारी से किए गए कामों से जो धन प्राप्त होता है, वह स्थाई होता है।
इसके अलावा कहा जाता है कि धन का सही प्रबंधन और निवेश से धन लगातार बढ़ता है। यानि धन को अगर सही जगह और सही कामों में लगाया जाए तो उसका निश्चित ही लाभ मिलता है और धन बढ़ता है।
शास्त्रों के मुताबिक अगर धन का सही तरीके से उपयोग किया जाए तो धन की बचत होगी। इतना ही नहीं, अगर आय-व्यय पर विशेष ध्यान दिया जाए तो वह बढ़ता भी रहेगा। अगर ऐसा किया जाए तो धन का संतुलन बना रहता है।
धन की रक्षा का लिए हर तरह से संयम रखना अनिवार्य है। इसका मतलब साफ़ है कि आवश्यक ज़रूरतों पर ही खर्च करना चाहिए। कहने का भाव ये है कि अगर सुख पाने और शौक को पूरा करने में धन खर्च करते रहेंगे तो धन की कमी होगी ही। अर्थात धन खर्च करने में मानसिक, शारीरिक और वैचारिक संयम रखना बहुत ज़रूरी है।
इसलिए कहा गया है कि व्यक्ति को धन बचाने से ज्यादा उसे बढ़ाने पर कैसे काम करना चाहिए इस पर विचार करना चाहिए।