Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Nov, 2017 12:43 PM
कुंडली में बुध बुद्धि का कारक ग्रह है। बुध से जु़डा सर्वाधिक महत्वपूर्ण गुण धर्म है। अनुकूलनशीलता हर हाल में खुद को ढाल लेना सिर्फ बुध प्रधान व्यक्ति ही कर सकता है। बुध को कई महत्वपूर्ण तथ्यों का कारक ग्रह माना गया है जैसे – वाणी का कारक, बुद्धि का...
कुंडली में बुध बुद्धि का कारक ग्रह है। बुध से जु़डा सर्वाधिक महत्वपूर्ण गुण धर्म है। अनुकूलनशीलता हर हाल में खुद को ढाल लेना सिर्फ बुध प्रधान व्यक्ति ही कर सकता है। बुध को कई महत्वपूर्ण तथ्यों का कारक ग्रह माना गया है जैसे – वाणी का कारक, बुद्धि का कारक, त्वचा का कारक, मस्तिष्क की तंत्रिका तंत्र का कारक आदि। जिस जातक की कुंडली में बुध अशुभ प्रभाव देता है, उसकी बुद्धि स्थिर नहीं रहती। दिमाग से संबंधित कामों में वह कभी भी मनचाही सफलता अर्जित नहीं कर पाता। अधिकतर पढ़ने वाले बच्चों के साथ यह समस्या देखने को मिलती है। जिन पर राहू-केतू का अशुभ प्रभाव चल रहा हो उनका मानसिक स्तर अस्थिर ही रहता है। वह हमेशा असमंजस की स्थिती में फंसे रहते हैं। कुछ उपाय करने से इस स्थिती में से सदा के लिए बाहर आया जा सकता है।
हर रोज सुबह विद्या की देवी सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए भगवती के बारह नामों का उच्चारण करना चाहिए। ये बारह नाम हैं- भारती, सरस्वती, शारदा, हंसवाहिनी, जगती, वागीश्वरी, कुमुदी, ब्रह्मचारिणी, बुद्धिदात्री, वरदायिनी, चंद्रकांति, भुवनेश्वरी। इन बारह नामों का स्मरण करने वाला व्यक्ति कुशाग्र, बुद्धिमान एवं मेधावी होता है।
ॐ ऐं सरस्वत्यै नम: इस पुराणोक्त मंत्र के जप से तत्त्वज्ञान की प्राप्ति होती है।
किसी जरूरतमंद को शिक्षण संबंधी सामग्री का दान करें।
प्रतिदिन विद्या की देवी सरस्वती का पूजन करें। उन्हें पीले रंग की वस्तुएं अर्पित करें।
प्रत्येक बुधवार गणपति बप्पा को दुर्वा चढ़ाएं साथ में मोदक का भोग लगाएं।
राहू-केतू के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए प्रत्येक शनिवार पीपल का पूजन करें।