7 दिन तक करें ये 7 उपाय, घर में होगी धन की वर्षा

Edited By ,Updated: 30 Jan, 2017 10:29 AM

7 steps for 7 days

धन प्राप्ति के लिए हर व्यक्ति भरपूर प्रयास करता है। कई बार मेहनत करने पर भी मनचाहा धन हाथ नहीं आता। ज्योतिषशास्त्री कहते हैं की यदि प्रतिदिन 7 दिन तक 7 उपाय करेंगे तो आप

धन प्राप्ति के लिए हर व्यक्ति भरपूर प्रयास करता है। कई बार मेहनत करने पर भी मनचाहा धन हाथ नहीं आता। ज्योतिषशास्त्री कहते हैं की यदि प्रतिदिन 7 दिन तक 7 उपाय करेंगे तो आप मालामाल बन सकते हैं। घर में तुलसी का पौधा जरूर रोपित करें। इसे उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्वी दिशा में लगाएं या फिर घर के सामने भी लगा सकते हैं। पारंपरिक ढंग के बने मकानों में रहने वाले ज्यादा सुखी और शांत रहते थे। तुलसी दर्शन करने पर समस्त पापों का नाश होता है, स्पर्श करने पर शरीर पवित्र होता है, प्रणाम करने पर रोगों का निवारण करती है, जल से सींचने पर यमराज को भी भय पहुंचाती है, तुलसी का पौधा लगाने से जातक भगवान के समीप आता है। तुलसी को भगवद चरणों में चढ़ाने पर मोक्ष रूपी फल प्राप्त होता है। 


घर के मुख्यद्वार पर हर शनिवार शाम के समय सरसों के तेल का दीपक जलाएं। संभव हो तो पीपल पर भी लगाएं और तीन परिक्रमा करें।


मंदिर में जब भी दीपक जलाएं तो उसमें कुछ कलावा डालें, ये लक्ष्‍मी को अपनी ओर आकर्षित करता है। 


प्रतिदिन अपनी क्षमता अनुसार किसी जरूरतमंद को दान दें।


घर और कार्य स्थल पर मंगलवार, शनिवार अथवा बृहस्पतिवार को उपलों पर लोबान और गुगल रखकर जलाएं। इसे चारों ओर घुमा दें, ऐसा करने से नकारात्मकता खत्म होगी और सकारात्मकता स्थिर तौर पर निवास करेगी।


सैलरी आने पर सबसे पहले कुछ पैसा निकालकर पूजा घर में रखें। 


मां लक्ष्‍मी को सफेद रंग के मिष्ठान बहुत प्रिय हैं, शुक्रवार को उन्हें सफेद मिठाई का भोग अवश्य लगाएं।


प्रतिदिन करें श्री लक्ष्मी स्तव का ये पाठ, बनेंगे करोड़पति

नमस्तेस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते ।
शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोस्तुते ॥1॥

अर्थात : इन्द्र बोले- श्रीपीठपर स्थित और देवताओं से पूजित होने वाली हे महामाये।तुम्हें नमस्कार है। हाथ में शंख, चक्र और गदा धारण करने वाली हे महालक्ष्मी! तुम्हें प्रणाम है।

नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयङ्करि ।
सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मि नमोस्तुते ॥2॥

अर्थात : गरुड़पर आरूढ़ हो कोलासुर को भय देने वाली और समस्त पापों को हरने वाली हे भगवति महालक्ष्मी! तुम्हें प्रणाम है।

सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयङ्करि ।
सर्वदुःखहरे देवि महालक्ष्मि नमोस्तुते ॥3॥

अर्थात : सब कुछ जानने वाली, सबको वर देने वाली, समस्त दुष्टों को भय देने वाली और सबके दु:खों को दूर करने वाली, हे देवि महालक्ष्मी! तुम्हें नमस्कार है।

सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि ।
मंत्रपूते सदा देवि महालक्ष्मि नमोस्तुते ॥4॥
अर्थात : सिद्धि, बुद्धि, भोग और मोक्ष देने वाली हे मन्त्रपूत भगवति महालक्ष्मी! तुम्हें सदा प्रणाम है।

आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि ।
योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मि नमोस्तुते ॥5॥

अर्थात : हे देवि! हे आदि-अन्त-रहित आदिशक्ते ! हे महेश्वरि! हे योग से प्रकट हुई भगवति महालक्ष्मी! तुम्हें नमस्कार है।

स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे ।
महापापहरे देवि महालक्ष्मि नमोस्तुते ॥6॥

अर्थात : हे देवि! तुम स्थूल, सूक्ष्म एवं महारौद्ररूपिणी हो, महाशक्ति हो, महोदरा हो और बड़े-बड़े पापों का नाश करने वाली हो। हे देवि महालक्ष्मी! तुम्हें नमस्कार है।

पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणि ।
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोस्तुते ॥7॥

अर्थात : हे कमल के आसन पर विराजमान परब्रह्मस्वरूपिणी देवि! हे परमेश्वरि! हे जगदम्ब! हे महालक्ष्मी! तुम्हें मेरा प्रणाम है।

श्वेताम्बरधरे देवि नानालङ्कारभूषिते ।
जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोस्तुते ॥8॥

अर्थात : हे देवि तुम श्वेत वस्त्र धारण करने वाली और नाना प्रकार के आभूषणों से विभूषिता हो। सम्पूर्ण जगत् में व्याप्त एवं अखिल लोक को जन्म देने वाली हो। हे महालक्ष्मी! तुम्हें मेरा प्रणाम है।

महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं यः पठेद्भक्तिमान्नरः ।
सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा ॥9॥

अर्थात : जो मनुष्य भक्ति युक्त होकर इस महालक्ष्म्यष्टक स्तोत्र का सदा पाठ करता है, वह सारी सिद्धियों और राज्यवैभव को प्राप्त कर सकता है।

एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम् ।
द्विकालं यः पठेन्नित्यं धनधान्यसमन्वितः ॥10॥

अर्थात : जो प्रतिदिन एक समय पाठ करता है, उसके बडे-बडे पापों का नाश हो जाता है। जो दो समय पाठ करता है, वह धन-धान्य से सम्पन्न होता है।

त्रिकालं यः पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम् ।
महालक्ष्मिर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा ॥11॥

अर्थात : जो प्रतिदिन तीन काल पाठ करता है उसके शत्रुओं का नाश हो जाता है और उसके ऊपर कल्याणकारिणी वरदायिनी महालक्ष्मी सदा ही प्रसन्न होती हैं।

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