बात उस समय की है, जब लाल बहादुर शास्त्री मुगलसराय के स्कूल में पढ़ते थे। तब उनका नाम लाल बहादुर वर्मा लिखा जाता था।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
बात उस समय की है, जब लाल बहादुर शास्त्री मुगलसराय के स्कूल में पढ़ते थे। तब उनका नाम लाल बहादुर वर्मा लिखा जाता था। उन्हें नाम के साथ सरनेम लगाना पसंद नहीं था। उन्होंने स्कूल जाने की उम्र में ही निश्चय कर लिया कि अपने नाम के आगे से वर्मा हटवाएंगे। यह बात उन्होंने घर में अपने माता-पिता व अन्य सदस्यों को बताई। घर के सदस्यों ने लाल बहादुर की इच्छा पर कोई आपत्ति नहीं जताई। अगले दिन लाल बहादुर अपने साथ परिवार के एक सदस्य को लेकर स्कूल पहुंचे और उनके जरिए हैड मास्टर के पास अपना निवेदन पहुंचाया कि उन्हें लाल बहादुर वर्मा न कह कर सिर्फ लाल बहादुर बुलाया जाए।

निवेदन सुनकर हैड मास्टर साहब ने लाल बहादुर से ही पूछा, ''बेटे तुम ऐसा क्यों चाहते हो?"
उनके पास जवाब तैयार था। तुरंत बोले, ''सर मेरा मानना है कि हर इंसान की पहचान उसके काम और नाम से होनी चाहिए, सरनेम से नहीं। सरनेम व्यक्ति की जाति और धर्म का बोध कराता है और मुझे यह बात अच्छी नहीं लगती।"

छोटे से बालक की यह बात सुनकर हैड मास्टर काफी प्रभावित हुए। हैड मास्टर का खुद का नाम वसंत लाल वर्मा था मगर लाल बहादुर के विचारों का सम्मान करते हुए उन्होंने उनके नाम के आगे से वर्मा सरनेम हटा दिया। इसके बाद उन्हें लाल बहादुर कह कर पुकारा जाने लगा।
स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद जब 1925 में लाल बहादुर ने काशी विद्यापीठ वाराणसी से 'शास्त्री' की डिग्री प्राप्त की, तो उसके बाद उन्होंने अपना पूरा नाम लाल बहादुर शास्त्री बताना और लिखना प्रारंभ किया। शास्त्री की यह पहचान उनके सरनेम से नहीं बल्कि उनकी अर्जित की गई शिक्षा से बनी थी।
World Cancer Day 2020: घर की ये दिशाएं दे सकती हैं कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी
NEXT STORY