Edited By Jyoti,Updated: 23 Jul, 2020 01:26 PM
कहा जाता है मौत ऐसी स्थिति होती है जब कोई साथ नहीं देता, इसका सामना प्रत्येक व्यक्ति को अकेले ही करना पड़ता है।
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कहा जाता है मौत ऐसी स्थिति होती है जब कोई साथ नहीं देता, इसका सामना प्रत्येक व्यक्ति को अकेले ही करना पड़ता है। कहा जाता है मौत से खतरनाक परिस्थिति शायद कोई नहीं होती। मगर आपको बता आचार्य चाणक्य ने बताया है इसके अलावा एक और ऐसी स्थिति होती है जिसे मौत से भी बदतर माना जाता है। जी हां, अब आप ज़रूर ये सोचेंगे कि भला मौत से भी खतरनाक और दर्दनाक कुछ होता है?
आपको बता दें कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में दर्जित एक नीति में बताया है कि वो क्या चीज़ होती है जो इंसान को मौत से भी कष्टदायी लगती है। आइए आपका इंतज़ार और न बढ़ाते हुए आपको बताते हैं चाणक्य के इससे संबंधित श्लोक और अर्थ के बारे मेें-
चाणक्य नीति श्लोक-
वरं प्राणपरित्यागो मानभङ्गन जीवनात्।
प्राणत्यागे क्षणां दुःख मानभङ्गे दिने दिने॥
इस श्लोक में चाणक्य बताते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए मृत्यु से भी अधिक पीड़ादायक और अहितकारी होता है अपमान। बल्कि चाणक्य कहते हैं कि अपमानित व्यक्ति के लिए जीवित रहने की अपेक्षा मर जाना अधिक उपयुक्त होता है। क्योंकि अपमान का सामना करना मौत से भी कई गुना खतरनाक और दर्दनाक होता है।
जो भी व्यक्ति अपमानित होता है, वो दिन प्रतिदिन अपने जीवन में कड़वा घूंट पीता है, अंदर ही अंदर अपने अपमान के चलते घुटता जाता है। समाज में उसे कोई प्यार भरी नज़र से नहीं देखता बल्कि हर कोई उससे घृणा करने लगता है। यहां तक कि अपमानित व्यक्ति के रिश्तेदार और दोस्त तक उससे दूरी बना लेते हैं। ऐसे में चाणक्य बताते हैं कि जीने से अच्छी मौत होती है। क्योंकि मृत्यु तो बस 1 क्षण का दुख देती है, परंतु अपमान एक ऐस स्थिति है जो व्यक्ति हर दिन हर पल दुख देती है।