वास्तु के अनुसार बदलें सोने का तरीका, नकारात्मक शक्तियों से मिलेगा छुटकारा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Jan, 2018 03:59 PM

according to vaastu change the way of sleep will get rid of negative forces

वास्तुशास्त्र वास्तु शास्त्र घर, प्रासाद, भवन अथवा मंदिर निर्मान करने का प्राचीन भारतीय विज्ञान है जिसे आधुनिक समय के विज्ञान आर्किटेक्चर का प्राचीन स्वरूप माना जा सकता है। व्यक्ति मानें या न मानें लेकिन उसके जीवन में वास्तुशास्त्र का अहम योगदान है।

वास्तुशास्त्र
वास्तु शास्त्र घर, प्रासाद, भवन अथवा मंदिर निर्मान करने का प्राचीन भारतीय विज्ञान है जिसे आधुनिक समय के विज्ञान आर्किटेक्चर का प्राचीन स्वरूप माना जा सकता है। व्यक्ति मानें या न मानें लेकिन उसके जीवन में वास्तुशास्त्र का अहम योगदान है। वास्तुशास्त्र के नियम अंधविश्वास ना होकर पूरी तरह वैज्ञानिक तर्कों पर आधारित हैं, जिसकी वजह से समाज चाहे कितना ही मॉडर्न क्यों ना हो जाए इन नियमों को नजरअंदाज नहीं कर सकता।

 

नियमों का पालन
वास्तुशास्त्र जीवन के हर क्षेत्र में अपनी मौजूदगी दर्ज करवाता है। घर हो या ऑफिस, खाना हो या सोना सब जगह वास्तुशास्त्र के नियमों को लागू किया जा सकता है। ये नियम व्यक्ति के जीवन को सुधार भी सकते हैं और अगर इनका पालन ना किया जाए तो यह किसी भी व्यक्ति के जीवन को बिगाड़ भी कर सकते है। तो आईए बात करते हैं वास्तु के कुछ एेसे ही नियमों के बारे में जिन्हें अपनाने से जीवन बहुत हद तक सहज व सरल बना सकता है।

 

वातावरण में ऊर्जा
हमारे वातावरण में विभिन्न प्रकार की ऊर्जाएं विद्यमान होती हैं। हम किन परिस्थितियों और किन हालातों में उन ऊर्जाओं के साथ तालमेल बैठाते हैं, यह व्यक्ति के जीवन पर गहरा असर डालता है।

 

सोने का तरीका
वास्तुशास्त्र विशेषज्ञों के अनुसार सोने का एक सही तरीका होता है। अगर आप दक्षिण दिशा की तरफ पांव करके सोते हैं तो यह आपके स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। इससे शारीरिक ऊर्जा का हरण तो होता ही है साथ ही साथ मानसिक स्थिति और हृदय की प्रक्रिया भी बिगड़ सकती है।

 

दो ध्रुव
विज्ञान के अनुसार पृथ्वी के दोनों ध्रुव, उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों के भीतर चुंबकीय शक्ति विद्यमान है। शारीरिक संरचना के अनुसार आपका सिर उत्तर दिशा है और आपके पांव दक्षिण दिशा। जब आप उत्तर दिशा की ओर सिर और दक्षिण दिशा की ओर पांव रखकर सोते हैं तो यह प्रतिरोधक का काम करती हैं।

 

विपरीत दिशाएं
विपरीत दिशाएं एक-दूसरे को आकर्षित करती हैं और समान दिशाएं प्रतिरोधक बन जाती हैं, जिसके चलते स्वास्थ्य और मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

 

वैज्ञानिक दृष्टिकोण
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह माना गया है कि दक्षिण दिशा की ओर पैर रखकर सोने से व्यक्ति की शारीरिक ऊर्जा का हरण होता है। जब वह सुबह उठता है तो उसे अजीब सी थकावट महसूस होती है। जबकि अगर यही दक्षिण दिशा की ओर सिर रखकर सोया जाए तो सुबह तरोताजा महसूस किया जा सकता है।


सिर और पैर
वास्तुशास्त्र के जानकारों का कहना है कि उत्तर दिशा की ओर धनात्मक प्रवाह होता है और दक्षिण दिशा की ओर ऋणात्मक प्रवाह। हमारे सिर का स्थान धनात्मक और पैर का स्थान ऋणात्मक प्रवाह वाला है। यदि हम अपने सिर को उत्तर दिशा की ओर रखकर सोते हैं तो उत्तर की धनात्मक और सिर की धनात्मक तरंगें एक-दूसरे से दूर विपरीत दिशा में भागेंगी। ऐसी स्थिति आने से व्यक्ति के मस्तिष्क की बेचैनी बढ़ती जाती है और फिर नींद भी सही प्रकार से नहीं आ पाती।हिंदू शास्त्रों में भी यह कहा गया है कि व्यक्ति को दक्षिण की ओर सिर करके ही सोना चाहिए। जबकि पैरों को रखने के लिए उत्तर को सही दिशा और दक्षिण, पूर्व और पश्चिम दिशा को पूरी तरह से वर्जित करार दिया गया है। शास्त्रों के अनुसार पूर्व दिशा में देवताओं और अन्य अलौकिक शक्तियों का वास होता है इसलिए कभी भी सोते समय पांव पूर्व दिशा में नहीं होने चाहिए। पूर्व दिशा में पांव रखकर सोना इसलिए भी अशुभ माना गया है क्योंकि इस दिशा में सूर्य का प्रवाह होता है।

 

पौराणिक शास्त्र
पौराणिक शास्त्र, विज्ञान और वास्तुशास्त्र बहुत हद तक एक-दूसरे से मेल खाते हैं। बहुत हद तक सभी के निर्देश और नियम भी समान हैं। तीनों का असल मकसद भी व्यक्ति के जीवन को सहज बनाना है। ऐसे में वास्तुशास्त्र के इन प्रमुख नियमों को अपनी जीवनशैली का भाग बनाने से न केवल भाग्यवर्धन होता है अपितु तनाव से भी मुक्ति मिलती है।

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