Edited By Jyoti,Updated: 13 Jul, 2022 02:49 PM

श्रावण मास का आरंभ हो चुका है, जिसके बाद हर जगह शिव शंकर के जयकारे सुनने को मिल रहे है। कहा जता है कि न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व भर में इनके अगिनत भक्त हैं। यही कारण है दुनिया भर में इनके मंदिरों की भरमार देखने को मिलती है। बता दें इनमें से...
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श्रावण मास का आरंभ होने को है, जिसके बाद हर जगह शिव शंकर के जयकारे सुनने को मिल रहे है। कहा जता है कि न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व भर में इनके अगिनत भक्त हैं। यही कारण है दुनिया भर में इनके मंदिरों की भरमार देखने को मिलती है। बता दें इनमें से ज्यादातर शिव मंदिरों में इनके शिवलिंग रूप की पूजा की जाती है। हर मंदिर की अपनी विशेषता है। जहां देश विदेश में स्थित शिव मंदिर जहां शिवलिंग की व भोलेनाथ की मूर्ति पूजा होती है वही एक ऐसा भी मंदिर है जहां शिव शंभू के पैर के अंगूठे की पूजा होती है। जी हां, आप को शायद जानकर हैरानी हो रही होगी परन्तु ये सच है। दरअसल ये मंदिर माउंट आबू में स्थित है।

बताया जाता है यहां शिव जी के अनेकों मंदिर है, जिस कारण इसे अर्धकाशी के नाम से भी जाना जाता है। बता दें जिस मंदिर की हम बात कर रहे हैं उसे अचलेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। जिसके बारे में कहा जाता है कि जो इस मंदिर में पूरे श्रद्धाभाव से आता है उसके सारे दुख-दर्द शिव जी दूर करते हैं। इतना ही नहीं, यहां आने वाले हर भक्त की प्रत्येक प्रकार की इच्छा पूरी होती है। बता दें अचलेश्वर महादेव मंदिर में मुख्य रूप से सोमवार, महाशिवरात्रि व सावन के मास भक्तगण दूर-दूर से पूजा करने आते हैं। तो आइए जानते हैं क्या है इस मंदिर का रहस्य-

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लोक मत है कि यहां मौजूद पर्वत का सारा भार शिव जी पैर के अंगूठे पर है, तो वहीं तो कुछ लोगों को मानना है कि यह पर्वत शिव जी के अंगूठे पर ही टिका हुआ है। इसके अलावा ये कहा जाता है जिस दिन यहां से शिव शंकर का अंगूठा हट गया तो ये पर्वत संपूर्ण रूप से नष्ट हो जाएगा। इनके अंगूठे के नीचे एक कुण्ड निर्मित है जिसके बारे में मान्यता प्रचलित है न तो किसी ने इसका निर्माण किया है न ही कोई इस बारे में जानता है, इस कुंड का निर्माण कैसे व किसके द्वारा किया गया है। लोगों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार इस कुण्ड में जितना भी पानी डाल लो लेकिन ये कुण्ड कभी भरता नहीं है।

ऐसा है अचलेश्वर महादेव मंदिर-
महादेव के इस मंदिर के बाईं ओर दो खंबे हैं जिन पर अद्भुत कलाकृति की हुई है। शिव शंकर को समर्पित अचलेश्वर महादेव मंदिर अचलगढ़ के किले के पास और उसके पास वाली पहाड़ी पर स्थित है। बताया जाता है इस मंदिर का निर्माण परमार राजवंश जी ने करवाया था, हालांकि वर्तमान समय में ये एक खंडहर में बदल चुका है। मंदिर में भगवान शिव के सामने उनके वाहन नंदी यानी बैल की एक बड़ी प्रतिमा स्थापित हैं, जो कि चार टन की है इसके अलावा मंदिर के समक्ष विशाल चंपा का पेड़ है। बता दें शिव जी को चंपा के फूल अधिक प्रिय है।
