Edited By Lata,Updated: 05 Jan, 2020 02:21 PM
आचार्य चाणक्य ने अपने जीवन में बहुत से ऐसी नीतियों की रचना की है, जिससे कि अगर कोई
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आचार्य चाणक्य ने अपने जीवन में बहुत से ऐसी नीतियों की रचना की है, जिससे कि अगर कोई व्यक्ति उन्हें अपने जीवन में उतारता है तो उसका जीवन सुधर सकता है। कहते हैं कि जब भी किसी व्यक्ति को किसी मुसीबत का सामना करना पड़ जाए तो आचार्य की नीति को याद किया जा सकता है। ऐसे ही चाणक्य ने अपना एक नीति में कहा है कि जो लोग अधिक लोभी होते हैं, उनका साथ किसी भी हालत में नहीं देना चाहिए, क्योंकि लोभी व्यक्ति केवल अपने बारे में विचार करता है वह दूसरों के बारे में जानना तो क्या सोचना भी सही नहीं समझता है।
श्लोक
तृष्णया मतिश्छाद्यते।
अर्थ : लोभ बुद्धि पर छा जाता है, अर्थात बुद्धि को नष्ट कर देता है।
भावार्थ : लोभी व्यक्ति अपना भला-बुरा नहीं सोच पाता कि लालच का क्या परिणाम होगा। कहावत है 'लालच बुरी बलाय, पर लोभ के कारण आदमी की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। ऐसे लालची व्यक्तियों से सदैव सतर्क रहना चाहिए।