Adhik Mass 2020: ये काम करने वाले की होती है हर इच्छा पूरी, आप भी ज़रूर आजमाएं

Edited By Jyoti,Updated: 19 Sep, 2020 03:22 PM

adhik mass 2020

चातुर्मास मास की ही तरह पुरुषोत्तम मास को भी बहुत महत्व प्रदान है। इसमें किया गया दान-पुण्य भी अधिक फलदायी होता है। बता दें ज्यादातर लोग पुरुषोत्तम मास को अधिक मास के नाम से जानते हैं।

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चातुर्मास मास की ही तरह पुरुषोत्तम मास को भी बहुत महत्व प्रदान है। इसमें किया गया दान-पुण्य भी अधिक फलदायी होता है। बता दें ज्यादातर लोग पुरुषोत्तम मास को अधिक मास के नाम से जानते हैं। ज्योतिषी बताते हैं लगभग 160 वर्ष के बाद अश्विन मासे में अधिक मास लगा है। हालांकि इस महीने की गिनती मुख्य महीनों में नहीं होती। प्रचलित कथाओं के अनुसार जब सभी महीनों का बंटवारा हुआ था तो अधिक मास दुखी था क्योंकि उसे लगता था कि सब उसे महत्वता नहीं देंगे और अपिवत्र मानेंगे। अधिक मास की इस परेशानी को दूर करने के लिए भगवान विष्णु ने उसे अपना प्रिय मास घोषित कर दिया और उसे पुरुषोत्तम मास का नाम दे दिया और कहा जो भी जातक इस दौरान मेरा ध्यान करेगा मैं उस पर असीम कृपा करूंगा और मैं ही इस मास की स्वामी कहलाऊंगा।
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साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि क्योंकि इस मास की गिनती 12 मास में नही होगी इसलिए किसी भी तरह मांगलिक कार्य जैसे विवाह आदि करने शुभ नहीं होंगे परंतु इसके अलावा कुछ ऐसे भी कार्य होंगे जिन्हें इस दौरान करना होगा शुभ होगा बल्कि इसका परिणाम भी अत्यंत लाभप्रद होगा। मगर शायद बहुत कम लोग होंगे जिन्हें ये पता नहीं होगा कि इस दौरान कौन से काम किए जा सकते हैं। तो चलिए आपको बताते हैं अधिक मास में किन कार्यों को करने से आपको लाभ प्राप्त होता है।

चूंकि अधिकमास में श्री हरि भगवान विष्णु की पूजा अधिक फलदायी होती है, इसलिए इस मास में सत्यनारायण की पूजा करवाई जा सकती है। कहा जाता ऐसा करने से भगवान विष्णु के साथ-साथ देवी लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है। जिससे जीवन में सुख-समृद्धि भी बढ़ती है।

भगवान विष्णु के प्रिय इस मास में देवों के देव महादेव के महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना भी शुभ होता है। ज्योतिष शास्त्री बताते हैं कि अधिक मास में किसी शिक्षित पुरोहित से संकल्प करवाकर महामृत्‍युंजय मंत्र का जप करवाना चाहिए। मगर कोरोना के कारम अगर इस बार ऐसा करना संभव न हो तो खुद से ही महामृत्युंजय मंत्र का जप करें। मान्यता है ऐसा करने से जातक के जीवन में से सभी दोष समाप्त होते हैं। 
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मान्यताओं के अनुसार क्योंकि इस मास में शुभ व मांगलिक कार्य संपन्न नहीं किए जाते, ऐसे में कुछ लोग ये समझ लेते हैं ऐसे में यज्ञ अनुष्ठान आदि भी नहीं किए जाते हैं। तो बता दें ऐसा कुछ नहीं है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस मास में करवाए जाने वाले या यज्ञ आदि का दोगुना फल प्राप्त होता है। 

सनातन धर्म के ग्रंथों में किए उल्लेख के अनुसार अधिकमास में भगवान विष्णु और उनके सभी अवतारों की पूजा करनी भी लाभदायक होती है।  तो वहीं इस दौरान ब्रज भूमि की यात्रा करना, अर्थात विष्णु जी के प्राचीन स्थलों पर जाना चाहिए। परंतु मौज़ूदा हालात में ऐसा कर पाना संभव नहीं हैं इसलिए घर में रहकर भी पूजा अर्चना कर सकते हैं।  
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