सावधान ! इस व्रत से हो सकती है आपकी पत्नी की मृत्यु

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 11 Mar, 2019 01:00 PM

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व्रत की महिमा अपार है। व्रत एक साधना है परन्तु इस व्रतरूपी साधना से जहां आध्यात्मिक और मानसिक सुख प्राप्त होता है, वहां गलत व्रत करने से लाभ की बजाय हानि उठानी पड़ सकती है अत: किसी भी प्रकार का व्रत करने से पहले आप जान लें कि जो व्रत आप करने जा रहे...

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व्रत की महिमा अपार है। व्रत एक साधना है परन्तु इस व्रतरूपी साधना से जहां आध्यात्मिक और मानसिक सुख प्राप्त होता है, वहां गलत व्रत करने से लाभ की बजाय हानि उठानी पड़ सकती है अत: किसी भी प्रकार का व्रत करने से पहले आप जान लें कि जो व्रत आप करने जा रहे हो वह आपके लिए अनुकूल है या नहीं ? व्रत करने का निर्णय आपको अपनी जन्म कुंडली से लेना चाहिए। अगर कोई ग्रह जन्म कुंडली में अशुभ प्रभाव दे रहा हो और बिना विचार के उसका व्रत आरम्भ कर दें तो आपको कई समस्याओं को सामना करना पड़ सकता है। यदि आप किसी वार का व्रत करने जा रहे हैं तो आपको सर्वप्रथम अपनी जन्म कुंडली में नीचे लिखे हुए योग देखने होंगे अगर जन्म कुंडली में ये योग हों तो आपको उस वार का व्रत नहीं करना चाहिए : 

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PunjabKesariरविवार व्रत :  अगर आप रविवार का व्रत करते हों परन्तु आपकी जन्म कुंडली में सूर्य नीच राशि, शत्रु राशि या कोई अन्य बुरा योग बना रहा हो तो ऐसे में रविवार का व्रत नहीं करना चाहिए क्योंकि रविवार के व्रत से सूर्य को बल मिलेगा। जिस कारण आपकी जन्म कुंडली में सूर्य के द्वारा बने बुरे योगों को बल मिलेगा और आपके जीवन में हानि होगी। जन्म कुंडली में सूर्य छठे भाव का स्वामी होकर अष्टम भाव में विद्यमान हो तथा उस पर राहू, शनि आदि पाप ग्रहों की दृष्टि हो तो ऐसे में रविवार के व्रत करने से असाध्य बीमारियों से ग्रस्त होना पड़ सकता है। यदि सूर्य द्वादश या तृतीय भाव में शत्रु राशि का होकर स्थित हो तो ऐसे में भी रविवार का व्रत नहीं करना चाहिए क्योंकि सूर्य आंखों का प्रतिनिधित्व करता है, अत: आंखों से सम्बन्धित रोग देगा।'

PunjabKesariसोमवार व्रत :  सोमवार व्रत का देवता चन्द्रमा है। यदि चन्द्रमा तीसरे, छठे तथा आठवें भाव का स्वामी हो और चतुर्थ भाव पर राहू, शनि आदि का पाप प्रभाव हो तो सोमवार का व्रत करने से व्यक्ति पागल तक हो सकता है। चन्द्रमा मन का कारक है यदि चन्द्रमा छठे भाव का स्वामी होकर चतुर्थ भाव में स्थित हो तो सोमवार का व्रत नहीं करना चाहिए क्योंकि सोमवार के व्रत से व्यक्ति को मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। चन्द्रमा यदि छठे भाव में स्थित हो तो भी सोमवार का व्रत नहीं करना चाहिए क्योंकि यहां चन्द्रमा चोरी, सरकारी क्षेत्रों में लाभ की जगह हानि दिलाएगा।

PunjabKesariमंगलवार व्रत : वृषभ लग्र हो और मंगल की दृष्टि बुध तथा शुक्र पर पड़ती हो तो मंगलवार के व्रत करने से व्यक्ति की स्त्री की मृत्यु हो सकती है। कुम्भ लग्र वालों को मंगलवार का व्रत नहीं करना चाहिए, क्योंकि कुम्भ लग्र वालों के लिए शनि और मंगल यदि किसी भाव अथवा उसके स्वामी पर एक साथ दृष्टि डालते हैं तो व्यक्ति उस भाव से सम्बन्ध्ति वस्तुओं का नाश करता है जैसे यदि कुम्भ लग्र वालों का मंगल और शनि पंचम भाव और पंचमेश पर दृष्टि डालें तो व्यक्ति की संतान उसे पीड़ा देती है यदि द्वितीय व द्वितीय भाव के स्वामी पर दृष्टि डालें तो व्यक्ति जानबूझकर अपने धन का नाश करता है, सातवें भाव और भाव के स्वामी पर दृष्टि डालें तो व्यक्ति अपनी पत्नी का शत्रु हो जाता है। इसी प्रकार मिथुन लग्र वालों को भी मंगलवार का व्रत नहीं करना चाहिए क्योंकि तब मंगल दो बुरे भावों का स्वामी हो जाता है। यदि मंगल चन्द्रमा और लग्र पर अपना प्रभाव डाल रहा हो और जातक मंगलवार का व्रत शुरू कर दे तो जातक क्रूर कार्यों को करने वाला और हिंसा प्रिय हो जाता है।

PunjabKesariबुधवार व्रत : मेष लग्र वालों को बुधवार का व्रत नहीं करना चाहिए क्योंकि तब बुध दो अशुभ भावों का स्वामी हो जाता है। इस लग्र वालों का बुध जिस भी स्थान पर बैठेगा उस स्थान को रोग युक्त कर देगा, जैसे यदि बुध लग्र में हो तो सिर, शरीर आदि में दर्द रहने लगेगा।

PunjabKesariगुरुवार व्रत : गुरु यदि सप्तम भाव में नीच राशि का हो तो गुरुवार का व्रत नहीं करना चाहिए क्योकि इस व्रत को करने से व्यक्ति की पत्नी की मृत्यु हो सकती है या फिर उसका वियोग सहन करना पड़ सकता है। पंचम भाव में गुरु नीच राशि का हो और व्यक्ति गुरुवार का व्रत करना शुरू कर दे तो उसके पुत्र की अकाल मुत्यु हो सकती है अत: इन स्थितियों में गुरुवार का व्रत नहीं करना चाहिए ।

PunjabKesariशुक्रवार व्रत : शुक्र यदि जन्म कुंडली में छठे या आठवें भाव में हो और व्यक्ति शुक्रवार का व्रत शुरू कर दे तो उस व्यक्ति को मूत्र से संबंधित रोग हो जाते हैं उसकी आंखों की ज्योति धीरे-धीरे कम होने लग जाती है या उसकी आंखों में रोग हो जाते हैं।

PunjabKesariशनिवार व्रत : शनि दूसरे भाव में हो तो शनिवार का व्रत नहीं करना चाहिए क्योंकि शनिवार के व्रत से व्यक्ति का जमा किया हुआ धन नष्ट हो जाता है। शनि चतुर्थ भाव में हो तो भी शनिवार का व्रत नहीं करना चाहिए क्योंकि शनि माता-पिता को हानि पहुंचाएगा। शनि किसी भी भाव में नीच राशि का स्थित हो तो भी उस व्यक्ति को शनिवार का व्रत नहीं करना चाहिए, क्योंकि शनि जिस भी स्थान में बैठेगा उस स्थान से सम्बन्धित हानि और रोग देता है जैसे चतुर्थ भाव में हो तो भूमि और घर से वंचित कर देगा, छठे भाव में हो तो रोग, मुकद्दमेबाजी में धन का नाश करवाएगा, मित्रों में विरोध पैदा कर देगा, सप्तम में हो तो पत्नी को पीड़ा, मानसिक परेशानियां पैदा करेगा इत्यादि।

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