विवाह उपरांत कई वर्ष इसी स्थान पर रहे थे शिव-पार्वती, किया था प्रथम युगल नृत्य

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Jan, 2018 02:36 PM

after marriage shiva parwati first couple dance

हिन्दू धर्म में भगवान शिव की ही प्रतिमा एवं लिंग रूप में पूजा की जाती है। शिवलिंग को सृष्टि की सर्वव्यापकता का प्रतीक माना जाता है इसलिए देवों के देव भगवान शिव जी को समस्त जगत का स्वामी कहा जाता है। देश-विदेश में भगवान भोलेनाथ के कई प्राचीन मंदिर...

हिन्दू धर्म में भगवान शिव की ही प्रतिमा एवं लिंग रूप में पूजा की जाती है। शिवलिंग को सृष्टि की सर्वव्यापकता का प्रतीक माना जाता है इसलिए देवों के देव भगवान शिव जी को समस्त जगत का स्वामी कहा जाता है। देश-विदेश में भगवान भोलेनाथ के कई प्राचीन मंदिर स्थापित हैं, ऐसा ही एक प्राचीन स्थान लुधियाना से 35 किलोमीटर दूर चंडीगढ़ रोड पर नीलों नहर पुल से आगे समराला से पहले गांव चहिलां में प्राचीन श्री मुक्तेश्वर महादेव शिव मंदिर (मुक्तिधाम) के नाम से विख्यात है। 


इस मंदिर के संबंध में प्रचलित प्राचीन कथा के अनुसार भगवान शंकर एवं माता पार्वती के विवाह उपरांत दोनों इसी स्थान पर कई वर्षों तक यहां रहे। यहां उन्होंने प्रथम युगल नृत्य किया। तत्पश्चात इन दोनों की युगल शक्ति इस धरती पर समा गई। तब माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि आने वाले समय में इस स्थान का क्या महत्व होगा। 


इस पर भगवान शिव ने कहा कि जो भी कोई यहां आकर अपने पापों की क्षमा मांगेगा, मैं उसके पाप नष्ट करके उसे मुक्ति प्रदान करूंगा। यह स्थान आने वाले समय में मुक्तिधाम के नाम से जाना जाएगा। भगवान भोलेनाथ ने कहा कि मैं इस मंदिर में निवास करके यहां आने वाले लोगों का उद्धार करूंगा। यहां मेरा शीश एवं जटाओं के रूप में एक शिवलिंग होगा। यहां वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और मैं खुद सदा विराजमान रहेंगे तथा यहां के सरोवर में स्नान करने वाले को सुख-शांति, समृद्धि प्राप्त होगी। 


यहां  स्थापित मूर्तियां अति प्राचीन बताई जाती हैं। इतिहास में इस जगह को मुक्ति मठ के नाम से जाना जाता है। यहां पहले बहुत सुंदर सरोवर थे, जिनके अवशेष अब भी देखने को मिलते हैं।  


मंदिर के पुजारी पंडित सुरेश ने बताया कि इस मंदिर में भगवान शंकर सबसे छोटे 3 इंच के शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं। यहां भगवान शिव और पार्वती का स्थान होने के कारण भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है। सावन माह में यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। शिवलिंग को हर दिन कई प्रकार के सुगंधित फूलों से सजाया जाता है। 


इस प्राचीन शिव मंदिर में पुरातत्व विभाग द्वारा अद्भुत द्वापरकाल से पहले की 17 मूर्तियां रजिस्टर्ड की गई हैं, जो पूरे भारतवर्ष में सिर्फ श्री मुक्तेश्वर महादेव शिव मंदिर गांव चहिलां में ही है। मंदिर कमेटी द्वारा यहां श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए धर्मशाला, डिस्पैंसरी और गौशाला का निर्माण करवाया जा रहा है। 

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