Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Feb, 2018 03:07 PM
दिनांक 16 फरवरी 2018 को फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकम तिथि और शतभिषा नक्षत्र होने के कारण इस दिन देवी पूजन का विशेष महत्व माना गया है। शुक्रवार का दिन देवी लक्ष्मी को समर्पित है। यह दिन शुभता, धन-संपन्नता, प्रेम वात्सल्य तथा सुखी वैवाहिक जीवन को...
दिनांक 16 फरवरी 2018 को फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकम तिथि और शतभिषा नक्षत्र होने के कारण इस दिन देवी पूजन का विशेष महत्व माना गया है। शुक्रवार का दिन देवी लक्ष्मी को समर्पित है। यह दिन शुभता, धन-संपन्नता, प्रेम वात्सल्य तथा सुखी वैवाहिक जीवन को संबोधित करता है। पिछले पंद्रह दिनों में पड़े दो ग्रहणों के कारण संपूर्ण संसार में अशुभता और अनिश्चितता का वातावरण बना हुआ है। एकमात्र लक्ष्मी और गणेश एक ऐसा माध्यम हैं, जो शुभता, स्वास्थ्य और सौम्यता के कारक हैं। एकमात्र इस शुक्रवार देवी लक्ष्मी के साथ में गणेश जी का पूजन करके आप शुभता प्राप्त कर सकते हैं तथा अशुभता को जीवन से निकाल सकते हैं।
गणेश जी केतु के अधिपति हैं तथा राहू को दबा कर रखते हैं। शास्त्रों ने उन्हें सूर्य कोटि समप्रभा कहा है। लक्ष्मी जी चन्द्रमा की स्वामिनी हैं। राहू केतू से पड़ने वाले ग्रहण के प्रभाव सू्र्य और चन्द्र पर भी पड़ते हैं। जहां सूर्य आत्मा हैं और चन्द्रमा मन का प्रतीक है। अत: ग्रहण के बाद शुक्रवार को लक्ष्मी विनायक जी का पूजन करके हम अपनी आत्मा, मन, तन और धन की शुद्धि कर सकते हैं तथा पुन: अपने जीवन में शुभता और मंगल को ला सकते हैं।
इस दिन श्वेत आभा लिए श्रीगणेश-लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए। एक नारियल पर यज्ञोपवीत लपेटकर लक्ष्मी विनायक को अर्पित करें। पूजन उपरांत इस जनेऊ संग नारियल को जल प्रवाह करें।
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com