अग्नि पंचक के दुष्प्रभाव से बचना चाहते हैं तो करें ये उपाय

Edited By Jyoti,Updated: 29 Nov, 2022 11:21 PM

agni panchank

29 नवंबर, दिन मंगलवार यानि कि आज से पंचक लग चुके हैं जो 04 दिसंबर को समाप्त होंगे। बता दें कि नवंबर मास में लगने वाले पंचक को अग्नि पंचक के नाम से जाना जाएगा।

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29 नवंबर, दिन मंगलवार यानि कि आज से पंचक लग चुके हैं जो 04 दिसंबर को समाप्त होंगे। बता दें कि नवंबर मास में लगने वाले पंचक को अग्नि पंचक के नाम से जाना जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि मंगलवार के दिन से शुरू होने वाले पंचक को अग्नि पंचक कहा जाता है और इस दौरान आग लगने या फैलना का खतरा अधिक बढ़ जाता है। हिंदू धर्म में पंचक को बहुत अशुभ माना गया है। यहां तक कि पंचक के दौरान किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य को शुरू नहीं करना चाहिए क्योंकि इस दौरान किए गए कार्यों का दुष्प्रभाव पांच गुना बढ़ जाता है। लेकिन शास्त्रों में इसके अशुभ प्रभाव से बचने के भी कई उपाय बताए हैं। तो आज हम आपको उन्हीं उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं। 

ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि पंचक के दौरान लकड़ियां और लकड़ी से जुड़ी कोई भी चीज खरीदना वर्जित माना गया है। लेकिन किसी कारणवश व्यक्ति को ऐसा करना पड़ रहा है तो वह गायत्री हवन के बाद यह कार्य कर सकता है। बता दें कि गायत्री हवन के बाद आप कोई भी लकड़ी का फर्नीचर खरीद सकते हैं क्योंकि गायत्री हवन करवाने से पंचक का अशुभ प्रभाव खत्म हो जाता है।

इतना ही नहीं पंचक काल में ईंधन से सम्बन्धित चीजों की खरीदारी की भी मनाही की गई है। लेकिन इस दौरान किसी कारणवश ऐसा करना पड़े तो पहले शिव मन्दिर में तेल का उपयोग कर आटे का पंचमुखी दीपक जलाएं और फिर उसके बाद ईंधन खरीदें।
 

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पंचक काल के समय दक्षिण दिशा में यात्रा करना वर्जित माना गया है। लेकिन अगर किसी कारणवश आपको दक्षिण दिशा में यात्रा करनी पड़ जाए तो उससे पहले हनुमान जी के मंदिर में बजरंगबली को पांच फल का भोग अर्पित करें और हनुमान चालीसा का पाठ करें। ऐसा करने से यात्रा में आने वाली हर मुश्किल टल जाएगी।

पंचक काल में छत डालना भी अशुभ माना गया है लेकिन अगर निर्माण कार्य शुरू हो गया है और यह कार्य आवश्यक है तो इससे पहले निर्माण कार्य में जुटे मजदूरों को भोजन कराएं या उन्हें मिठाई खिला दें। इससे आने वाला हर संकट समाप्त हो जाता है।

अगर किसी रिश्तेदार के घर शव दहन का समय हो या फिर घर में अचानक किसी की मृत्यु हो गई हो तो पंचक होने के कारण शव का क्रिया कर्म करने से पहले कुशा के पांच पुतले बनाकर अवश्य जलाएं। फिर उसके बाद दाह संस्कार करें।

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