अजा एकादशी 2020: इस शुभ मुहूर्त में करें लक्ष्मी-नारायण की पूजा

Edited By Jyoti,Updated: 15 Aug, 2020 08:37 AM

aja ekadashi 2020

आज यानि 15 अगस्त, 2020 भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की एकादश तिथि को श्री हरि को समर्पित अजा एकादशी का पर्व मनाया जाएगा।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
आज यानि 15 अगस्त, 2020 भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की एकादश तिथि को श्री हरि को समर्पित अजा एकादशी का पर्व मनाया जाएगा। सनातन धर्म में समस्त एकादशी तिथियों की तरह इस एकादशी तिथि को भी महत्व प्राप्त है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो जातक पूरी निष्ठा से ये व्रत करता है, उसे न केवल भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है बल्कि कहा जाता है इस व्रत के प्रभाव से अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होता है।
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यही कारण है इसलिए सनातन धर्म में सिर्फ अजा एकादशी बल्कि प्रत्येक एकादशी के दिन व्रत आदि किया जाता है तथा श्री हरि की पूजा की जाती है। मगर ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एकादशी का व्रत नियमों के अनुसार करना चाहिए। जिसमें सबसे अधिक इस मुहूर्त आदि का ध्यान रखना आवश्यक होता है। कहा जाता है अगक इस दिन श्री हरि का व्रत व पूजान मुहूर्त आदि को ध्यान में रखते हुए किया जाए तो जातक की सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरी होती हैं। तो चलिए आपको बताते हैं इस तिथि का आरंभ और समापन। साथ ही जानेंगे कि इससे जुड़ी पूजा विधि तथा महत्व- 

अजा एकादशी आरंभ और समापन समय-
एकादशी तिथि आरंभ- 14 अगस्त 2020 दोपहर 2 बजकर 1 मिनट से।
समापन- 15 अगस्त 2020 रात 2 बजकर 20 मिनट पर।

महत्व-
यूं तो प्रत्येक एकादशी खास महत्व रखती है परंतु अगर बात अजा एकादशी की करें तो कहा जाता है कि इस दिन श्री हरि के लिए व्रत रखने वाले व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं इस दिन के शुभ प्रभाव से इंसान को अपने समस्त पापों से छुटकारा पा सकता है।
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व्रत विधि-
ऐसा कहा जाता है अजा एकादशी का व्रत काफी कठिन होता है क्योंकि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन किसी भी तरह के अनाज का सेवन नहीं किया जाता। बता दें इस दिन निर्जला या एक समय फलाहार करके ही व्रत रखा जाता है। इसके अलावा इस दिन से जुड़ी मान्यता ये भी है कि इस दिन जो व्यक्ति व्रत रखता है उसे रात में सोना नहीं चाहिए बल्कि रात्रि में जागकर श्रीहरि के नाम के गुणगान करना चाहिए। 

ऐसे करें श्री हरि की पूजा-
व्रत वाले दिन व्र्ती को प्रातः उठकर स्नान से निवृत्त होकर सबसे पहले व्रत का संकल्प लेना चाहिए। 
इसके बाद श्री हरि भगवान विष्णु की प्रतिमा पर पुष्प, धूप, वस्त्र आदि अर्पित करके पूरी श्रद्धा से भगवान विष्णु की आरती करनी चाहिए। 

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ध्यान रहे इनकी पूजा में तुलसी का उपयोग अवश्य करें, क्योंकि शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु को तुलसी अधिक प्रिय है। इसके अलावा इस दिन गरीबों में अपनी क्षमता अनुसार दान भी ज़रूर करें। 

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