Edited By Lata,Updated: 06 May, 2019 10:43 AM
ज्योतिषीय दृष्टि से चार अबूझ व स्वयं सिद्ध मुहूर्त हैं जिसमें किया गया कोई भी कार्य चिरस्थायी एवं शुभ माना जाता है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
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ज्योतिषीय दृष्टि से चार अबूझ व स्वयं सिद्ध मुहूर्त हैं जिसमें किया गया कोई भी कार्य चिरस्थायी एवं शुभ माना जाता है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, अक्षय तृतीया, दशहरा तथा दीवाली। अक्षय का अर्थ है जिसका क्षय न हो। यह तिथि भगवान परशुराम जी का जन्मदिन होने के कारण परशुराम तिथि और चिरंजीवी तिथि भी कहलाती है। त्रेता युग का आरंभ भी इसी तिथि से माना गया है। अत: इसे युगादितिथि भी कहा गया है। इस दिन किए गए कार्यों का अक्षय फल मिलता है। परशुराम जी का अवतरण भी इसी दिन हुआ था। ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का जन्म भी इसी दिन माना जाता है। यह एक सर्वसिद्ध मुहूर्त माना जाता है जिस दिन पंचांग देखे बगैर कोई भी मांगलिक शुभ कार्य किया जा सकता है। नए व्यवसाय या नई संस्था की नींव रखी जा सकती है।
शुभ मुहूर्तः
पूजा-प्रात: 5.40 से दोपहर 12.17 तक
सोना आदि खरीदें : सुबह 7 से रात्रि 11.45 तक
अक्षय तृतीया 6 मई की प्रात: 4 बजकर 27 मिनट पर आरंभ हो जाएगी और 7 तारीख की रात्रि 2 बज कर 17 मिनट तक रहेगी। यह संयोग वृष राशि व मिथुन राशि के अंतर्गत, रोहिणी नक्षत्र में बन रहा है। यही नहीं इस बार 4 बड़े ग्रह सूर्य, शुक्र, चंद्र तथा राहू अपनी उच्च राशि में होंगे।
क्या-क्या करेंः
यह अबूझ मुहूर्त सगाई एवं विवाह के लिए सर्वोत्तम है। इसके अतिरिक्त दीर्घकालीन निवेश जैसे प्लाट, फ्लैट, स्थायी प्रापर्टी, बीमा पालिसी, शेयर, म्युचुअल फंड, आभूषण, सोना ,चांदी, वाहन क्रय, नौकरी के लिए आवेदन, नया व्यवसाय आरंभ, मकान की नींव आदि, भवन क्रय के लिए एग्रीमैंट, विदेश यात्रा, नया व्यापार आरंभ आदि के लिए चिरंजीवी दिन है।
शुक्र ग्रह, सुख सुविधा एवं ऐश्वर्य का प्रतीक है। इस दिन गृहोपयोगी सामान भी खरीदा जा सकता है। विलासिता, शृंगार, भवन के नवीनीकरण से संबंधित वस्तुएं घर में लाना शुभ माना गया है। वाहन का क्रय बिना कोई मुहूर्त देखे अक्षय तृतीया पर किया जा सकता है।
अक्षय तृतीया पर कैसे करें पूजा ?
दीवाली की तरह इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा का विशेष महत्व है। आर्थिक सुख-समृद्धि एवं धन की आवश्यकता आज मजदूर से लेकर मंत्री तक सबको है। यदि आप इस दिन लक्ष्मी जी का पूजन करना चाहें तो इस अवधि में बहुत ही साधारण विधि से कर सकते हैं। महिलाएं परिवार की सुख समृद्धि व धनागमन के लिए व्रत रख सकती हैं। इस दिन लक्ष्मी जी की आराधना का सर्वाधिक महत्व है। प्रात: स्नान करके पुरुष सफेद तथा महिलाएं लाल वस्त्र पहन कर लक्ष्मी जी के चित्र या मूर्ति के आगे बैठ कर इन मंत्रों में से किसी एक या सभी की एक-एक माला कर सकते हैं। कमल गट्टे या स्फटिक की ही माला का प्रयोग करें।
1.ओम् श्रीं श्रियै नम: !!
2. हृीं ऐश्वर्य श्रीं धन धान्याधिपत्यै ऐं पूर्णत्व लक्ष्मी सिद्धयै नम:!!
3. ओम् नमो हीं श्रीं क्रीं श्रीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी मम गृहे धनं चिन्ता दूरं करोति स्वाहा !!
पूजा विधिः
सामग्री: थाली, हकीक- 9,गोमती चक्र-9, लग्न मंडप सुपारी-9,लघु नारियल-9, गुलाब या कमल के फूल-3, चावल- सवा किलो, लाल या सफेद कपड़ा- सवा मीटर, मोती शंख, भोज पत्र, या चांदी पर खुदा हुआ अक्षय यंत्र रौली, मौली,स्फटिक की माला,दक्षिणा,वस्त्र। आर्थिक उन्नति तथा अन्य समस्याओं के लिए अक्षय तृतीया पर यह उपाय करें।
विधि: प्रात: काल स्नान आदि करके पूजा स्थान पर कंबल या दरी बिछा कर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठें। थाली में रोली से अष्ट दल बना कर मोतीशंख मध्य में रखें। यह मंत्र 11 या 108 बार पढ़े।
ओम श्रीं ही्ं दारिद्रये विनाशिनये धन धान्य समृद्धि देही देही नम: ।।
सवा किलो साबुत चावल शंख पर चढ़ाते जाएं। कुछ चावल शंख में भरें, लाल कपड़े में बांधें। शेष चावल की खीर बना कर बांट दें। शंख को तिजोरी या पूजा स्थान पर रखें। पूजन के बाद खीर का प्रसाद अवश्य बांटना चाहिए।
-मदन गुप्ता सपाटू
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