हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह में 2 एकादशी व्रत आते हैं, एक शुक्ल व दूसरी कृष्ण पक्ष में। कहते हैं कि जो लोग
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हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह में 2 एकादशी व्रत आते हैं, एक शुक्ल व दूसरी कृष्ण पक्ष में। कहते हैं कि जो लोग दोनों पक्षों की एकादशी का व्रत करते हैं, उनपर भगवान की कृपा हमेशा बनी रहती है। बता दें कि इस दिन श्री हरि की पूजा का दिन होता है। इस बार ये व्रत 06 मार्च को पड़ रहा है और जिसका नाम आमलकी एकादशी है। जैसा कि इसके नाम से पता चल रहा है कि इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाएगी। आंवला को शास्त्रों में श्रेष्ठ माना गया है। शास्त्रों के अनुसार आंवले के पेड़ को भगवान विष्णु ने ही जन्म दिया था।

कैसे रखें व्रत: सभी एकादशी व्रतों की तरह इस दिन भी व्रती को दशमी तिथि से ही व्रत के नियमों का पालन करना होता है। एकादशी व्रत से एक दिन पहले भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए सोना चाहिए। फिर व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा की तैयारी करें। जिसके लिए विष्णु जी की प्रतिमा लें उसके समक्ष अपने हाथ में तिल, कुश, मुद्रा और थोड़ा जल लेकर व्रत करने का संकल्प लें।
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एकादशी व्रत भगवान विष्णु की कृपा पाने और मोक्ष की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
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व्रत का संकल्प लेने के बाद षोड्षोपचार सहित भगवान की पूजा करें। भगवान की पूजा करने के बाद इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा भी जरूर करें।

आंवले के पेड़ के चारों तरफ सफाई कर लें और उसके आस पास गाय का गोबर लगाकर उस जगह को पवित्र कर लें। पेड़ की जड़ में वेदी बनाएं और उसमें कलश की स्थापना करें। कलश में देवताओं को आमंत्रित करें, फिर दीपक जलाएं।

इस व्रत को फलाहार लेकर रखा जाता है। रात्रि पर भगवान विष्णु की अराधना की जाती है। फिर द्वादशी तिथि को सुबह फिर से विष्णु जी की पूजा कर ब्राह्मणों को भोजन कराकर उन्हें दान दक्षिणा देने के बाद व्रत को खोल लिया जाता है।
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