Edited By Niyati Bhandari,Updated: 16 Mar, 2019 01:05 PM
कल 17 मार्च, रविवार को फाल्गुन शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली आमलकी एकादशी है। ये भगवान श्री हरि विष्णु के प्रिय दिनों में से एक है। इस रोज़ ग्रह नक्षत्रों का चमत्कारयुक्त संयोग बनेगा। पुष्य नक्षत्र होने से इस व्रत का महत्व बढ़ जाता है। रविवार पर सूर्य...
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कल 17 मार्च, रविवार को फाल्गुन शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली आमलकी एकादशी है। ये भगवान श्री हरि विष्णु के प्रिय दिनों में से एक है। इस रोज़ ग्रह नक्षत्रों का चमत्कारयुक्त संयोग बनेगा। पुष्य नक्षत्र होने से इस व्रत का महत्व बढ़ जाता है। रविवार पर सूर्य का स्वामीत्व स्थापित है और इसके कारक भगवान विष्णु हैं। ये योग बुद्धिमत्ता, शिक्षा और धन लक्ष्मी प्रदान करता है। जो व्यक्ति श्रद्धा भाव से इस दिन व्रत करते हैं उन्हें भगवान विष्णु संग लक्ष्मी जी का महावरदान प्राप्त होता है।
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एकादशी व्रत में अन्न का प्रयोग नहीं किया जाता। रात को दीप दान करने और नाम संकीर्तन करने का सबसे अधिक पुण्य फल प्राप्त होता है। मान्यता है की एकादशी का व्रत करने वाले को एक हजार गाय दान के बराबर पुण्य मिलता है तथा जिस कामना से कोई भक्त एकादशी का व्रत करता है उसकी सभी कामनाएं अवश्य पूरी होती हैं।
आप भी आमलकी एकादशी व्रत करना चाहते हैं तो आज यानी 16 मार्च को पानी से भरा बर्तन लेकर भगवान के सामने रखें तथा हाथ में जल लेकर भगवान से प्रार्थना करें कि ‘हे ईश्वर मैं एकादशी का व्रत करूंगा, आप मुझे व्रत करने की शक्ति प्रदान करें’ ऐसा कहकर हाथ में लिया जल छोड़ दें और सच्चे शुद्घ भाव से दोनों हाथ जोडक़र भगवान को नमन करें तथा प्रभु नाम का सिमरण करें। पानी से भरा पात्र भी उठा कर रख लें, अगले दिन व्रत करें तथा व्रत का पारण करने से पूर्व उस जल को तुलसी में डाल दें अथवा उस जल का सूर्य को अर्घ्य दे कर व्रत पूरा करें।
आमलकी एकादशी व्रत में अन्न, कलश, वस्त्र, जूते आदि का दान करना लाभदायक होता है। यह व्रत क्योंकि रविवार को है इसलिए तांबे के बर्तन, लाल कपड़े, गेंहू, गुड़ और लाल चंदन का दान करें।
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