अनंत चतुर्दशी के दिन ऐसे करें श्री हरि की पूजा, प्राप्त होंगे लाभ ही लाभ

Edited By Jyoti,Updated: 07 Sep, 2021 07:01 PM

anant chaturdashi 2021

अनंत चतुर्दशी की 10 दिवसीय गणेश उत्सव का समापन होता है, जिस कारण इस दिन विधि वत रूप से भगवान गणेश जी की विधि वत रूप से आराधना की जाती है। तो वहीं धार्मिक शास्त्रों में भगवान विष्णु को अनंत कहा गया है।

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अनंत चतुर्दशी की 10 दिवसीय गणेश उत्सव का समापन होता है, जिस कारण इस दिन विधि वत रूप से भगवान गणेश जी की विधि वत रूप से आराधना की जाती है। तो वहीं धार्मिक शास्त्रों में भगवान विष्णु को अनंत कहा गया है। जिसका अर्थात इस दिन इनकी पूजा का आदि का अधिक विधान है। बता दें इस बार गणेश उत्सव 10 सितंबर से 19 सितंबर तक चलेगा। यानि इस बार अनंक चतुर्दशी की 19 सितंबर दिन रविवार को पड़ रहा है। शास्त्रों में इस दिन को अत्यंत खास माना गया है। तो चलिए जानते हैं अनंत चतुर्दशी से जुड़ी खास जानकारी। 

सबसे पहले आपको बता दें कि अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु यानि श्री हरि की पूजा का विधान है। अग्नि पुराण में इस दिन का अधिक महत्व बताया गया है। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार इस दिन अनंत सूत्र बांधा जाता है। कहा जाता है इस दिन भगवान विष्णु अनंत रूप में विराजमान होते हैं। तथा इन्हें ही अनंत सूत्र बांधा जाता है। इससे जुड़े महत्व की बात करें तो श्री कृष्ण ने पांडवों द्वारा जुए में अपना राजपाट हार जाने के बाद श्री कृष्ण से पूछा था कि दोबारा राजपाट प्राप्त करने के लिए तथा तमाम तरह के कष्टों से मुक्ति पाने के लिए क्या करना चाहिए, तब श्री कृष्ण ने उन्हें सपरिवार सहित अनंत चतुर्दशी व्रत का महत्व बताया था। 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चातुर्मास में भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर अनंत शयन में रहते हैं।  कथाएं हैं कि अनंत भगवान विष्णु ने अपने वामन अवतार में तीनों लोकों को दो पग में ही नाप लिया था। इनका न तो आदि का पता है न अंत का जिस कारण ये अनंत कहलाते हैं। अतः माना जाता है कि इनके पूजन से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। बता दें विष्ण जी के सेवन भगवान शेषनाग को भी अनंत के नाम से जाना जाता है।  

इनकी पूजा से मिलते हैं ये लाभ- 
प्रातः काल स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेकर पूजा स्थल पर कलश स्थापित करें।

कलश पर अष्टदल कमल की तरह बने बर्तन में कुश से निर्मित अनंत की स्थापना करने के पश्चात एक धागे को कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर अनंत सूत्र तैयार करें, ध्यान रहें इसमें 14 गांठें लगी हों। 

भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने रखकर भगवान विष्णु और अनंत सूत्र की षोडशोपचार विधि से पूजा शुरू करें और नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें। इसके बाद विधिवत पूजन के बाद अनंत सूत्र को बाजू में बांध लें। पुरुष दांये हाथ में और महिलाएं बांये हाथ में बांधे।

अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव।
अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।

इसके अतिरिक्त मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ जो व्यक्ति श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है, तो उसकी समस्त मनोकामना पूर्ण होती है। 

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