Edited By Niyati Bhandari,Updated: 05 May, 2021 12:52 PM
बदला लेने वाला व्यक्ति अपने घाव को हमेशा हरा रखता है। नहीं तो वह अब तक ठीक
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
बदला लेने वाला व्यक्ति अपने घाव को हमेशा हरा रखता है। नहीं तो वह अब तक ठीक हो जाता। —बेकनइस संसार में
बैैर से बैर कभी शांत नहीं होता। बैर तो प्रेम से ही शांत होता है। यही धर्म का नियम है। —महात्मा बुद्ध
सत्य को खरीदा नहीं जा सकता, न ही उसे दान मेें प्राप्त किया जा सकता है और न ही उसे युद्ध से जीता जा सकता है। —ओशो
विश्वास सफलता की महत्वपूर्ण सीढ़ी है। उस पर विश्वास करें जो सारी दुनिया को चला रहा है। —स्वामी विवेकानंद
किसी राजा की जय-जयकार उसके राज्य में ही होती है, परंतु एक विद्वान का आदर हर जगह होता है। —चाणक्य
भली बातें कड़वी जरूर लगती हैं, किन्तु उनके कड़वेपन का स्वागत करना चाहिए क्योंकि उनमें भलाई निवास करती है। —भर्तृहरि
नेपोलियन बोनापार्ट कहते थे कि मेरे शब्दकोश में असंभव नाम का कोई शब्द नहीं है। सबसे पहले अपने मन में आत्मविश्वास जगाएं। मन में पूरी निष्ठा होनी चाहिए। मुझे सफलता मिलेगी, इस भावना से कार्य शुरू करना चाहिए। —स्वेट मार्डन
चार बातों को याद रखें :
बड़े-बूढ़ों का आदर करना, बुद्धिमानों से सलाह लेना और मूर्खों के साथ कभी न उलझना।
चार का परिचय चार अवस्थाओं में मिलता है- दरिद्रता में मित्र का, निर्धनता में स्त्री का, रण में शूरवीर का और बदनामी में बंधु-बांधवों का।
चार चीजें पहले दुर्बल दिखती हैं परंतु परवाह न करने पर बढ़कर दुख का कारण बनती हैं : अग्नि, रोग, ऋण और पाप।
चार चीजों का सदा सेवन करना चाहिए : सत्संग, संतोष, दान और दया।
चार अवस्थाओं में आदमी बिगड़ता है : जवानी, धन, अधिकार और अविवेक।
चार चीजें मनुष्य को बड़े भाग्य से मिलती हैं : भगवान का याद रखने की लगन, संतों की संगति, चरित्र की निर्मलता और उदारता।
चार गुण बहुत दुर्लभ हैं : धन में पवित्रता, दान में विनय, वीरता में दया और अधिकार में निराभिमानता।
चार चीजों पर भरोसा रखो : सत्य, पुरुषार्थ, स्वार्थहीन और मित्र।
चार चीजें जाकर फिर कभी वापस नहीं लौटतीं : जुबान से निकली बात, कमान से निकला तीर, बीती हुई उम्र और मिटा हुआ ज्ञान।
चार बातों को हमेशा याद रखें : दूसरे के द्वारा अपने ऊपर किया गया उपकार, अपने द्वारा दूसरे पर किया गया अपकार, मृत्यु और भगवान।
चार के संग से बचने की चेष्टा करें : नास्तिक, अन्याय का धन, परायी नारी और परनिंदा।