Edited By Jyoti,Updated: 03 Mar, 2021 07:21 PM
जीवन सुख-दुख का उतार-चढ़ाव है, जैसे सुख में डूब जाना बुद्धिमानी नहीं है वैसे ही दुख में अपने को भूल जाना भी कमजोरी की चरम सीमा है। मनुष्य के सामने एक ध्येय
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जीवन सुख-दुख का उतार-चढ़ाव है, जैसे सुख में डूब जाना बुद्धिमानी नहीं है वैसे ही दुख में अपने को भूल जाना भी कमजोरी की चरम सीमा है। मनुष्य के सामने एक ध्येय होना चाहिए। उसके पाने के मार्ग में जो भी दुख-सुख आए उनका तिरस्कार करते चलना ही समझदारी है। आंधी में कमजोर पेड़ टूट जाते हैं, मजबूत चट्टान की तरह स्थिर रहते हैं। —उदयशंकर भट्ट
मेरे विचार में मनुष्य का मूल्य उसके काम या उसके कथन से नहीं, बल्कि वह जीवन में स्वयं क्या बन रहा है, उसे देखकर आंकना चाहिए। —अज्ञात
जिसका बुद्धि रूपी सारथी चतुर हो और मन रूपी लगाम जिसके काबू में हो, वह विश्व को पार करके ईश्वरीय परम पद तक पहुंचता है। —तिरुवल्लुवर
वह व्यक्ति परम सुखी है जिसे सुबुद्धि प्राप्त है और जिसके पास विवेक का वास है। —बाइबल—जगजीत सिंह भाटिया, नूरपुर बेदी (रोपड़)
थोड़ा-थोड़ा जल रिसते-रिसते बड़े-बड़े जहाज डूब जाते हैं। —शेख सादी
गंगा जी में जाकर अपवित्र जल भी पवित्र हो जाता है। —तुलसी
जो मनुष्य अपने मन का गुलाम बना रहता है वह प्रभावशाली पुरुष नहीं बन सकता। —स्वेट मार्डेन
प्रेम संबंध एक बार टूट जाएं तो पहले की भांति जुड़ नहीं पाता, जैसे धागा टूटने पर दोबारा जोड़ा भी जाए तो गांठ पड़ जाती है। —रहीम
कस्तूरी की पहचान उसकी सुगंध से स्वयं होती है किसी के कहने से नहीं। —शेख सादी
वही विजयी होते हैं जिन्हें विजयी होने का विश्वास होता है। —प्रेम चंद
विजय सदा ही भव्य होती है, चाहे वह संयोग से प्राप्त हो या दक्षता से। —हजारी प्रसाद द्विवेदी
—अमरनाथ भल्ला, लुधियाना