Kundli Tv- सावन में बिना मुहूर्त के कर सकते हैं कोई भी शुभ काम

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 16 Aug, 2018 10:26 AM

any auspicious thing can be done without a beginner in sawan

सावन अर्थात श्रावण का महीना भगवान शिव को सर्वाधिक प्रिय है। इस पूरे महीने भगवान शिव पृथ्वी पर रहते हैं।

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सावन अर्थात श्रावण का महीना भगवान शिव को सर्वाधिक प्रिय है। इस पूरे महीने भगवान शिव पृथ्वी पर रहते हैं। मान्यता है कि देवशयन एकादशी के बाद जब सब देवता सो जातें हैं तब भूतभावन भगवान शिव समस्त चराचर के भरण-पोषण का दायित्व भी संभालते हैं ताकि भगवान विष्णु की निद्रा में कोई विघ्न न पड़े। इसलिए सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा के लिए शिव वास पर भी विचार नहीं किया जाता जबकि अन्य साधारण दिनों में शिव जी की पूजा करने से पहले शिव वास जानना जरूरी होता है।
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शिव वास जानने का तरीका 
वर्तमान तिथि को 2 से गुणा करके पांच जोड़ें फिर 7 का भाग दें। शेष 1 रहे तो शिव वास कैलाश में, 2 से गौरी पाश्र्व में, 3 से वृषारूड़ श्रेष्ठ, 4 से सभा में सामान्य एवं 5 से ज्ञानबेला में श्रेष्ठ होता है। यदि शेष 6 रहे तो क्रीड़ा में तथा शून्य से श्मशान में अशुभ होता है। तिथि की गणना शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से करनी चाहिए। शिवार्चन के लिए शुभ तिथियां शुक्ल पक्ष में 2, 5, 6, 7, 9, 12, 13, 14 और कृष्ण पक्ष में 1, 4, 5, 6, 8, 11, 12, 13, व 30 तिथियां शिवजी के पूजन के लिए श्रेष्ठ होती हैं।
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मासिक शिवरात्रि शुक्ल पक्ष त्रयोदशी को भी होती है, जिसे प्रदोष व्रत कहते हैं और उसमें रुद्राभिषेक का विधान है, ऐसा हमारे पंचांग कहते हैं। वैसे त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित है परंतु कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को कुछ विद्वान रुद्राभिषेक की सलाह नहीं देते। महाशिवरात्रि शिवजी के विशेष दिन के कारण क्षम्य है, साथ ही श्रावण मास में तिथि या मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती। अत: पूरे श्रावण भर रुद्राभिषेक कर सकते हैं। श्रावण में भगवान शिव की पूजा करने के लिए रुद्राभिषेक किया जाता है। रुद्र अर्थात भूत भावन शिव का अभिषेक।
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