अपरा एकादशी 2019ः धन के साथ-साथ अपार खुशियां भी देता है ये व्रत

Edited By Lata,Updated: 29 May, 2019 10:20 AM

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गुरुवार, 30 मई को ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अपरा एकादशी का पर्व मनाया जाएगा। इस एकादशी को अपरा के साथ-साथ अचला एकादशी भी कहा जाता है।

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गुरुवार, 30 मई को ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अपरा एकादशी का पर्व मनाया जाएगा। इस एकादशी को अपरा के साथ-साथ अचला एकादशी भी कहा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार पूरे साल में 24 एकादशी व्रत आते हैं लेकिन मलमास या अधिकमास आ जाने पर इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती हैं। कहते हैं कि अपरा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और साथ ही धन संपदा भी बढ़ती है। एकादशी व्रत को करने से न सिर्फ हमें पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है, बल्कि जीवन से जुड़े तमाम प्रकार के कष्टों से छुटकारा मिलता है। तो चलिए आगे जानते हैं इस एकादशी की व्रत कथा के बारे में-
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युधिष्ठिर कहने लगे कि हे भगवन्! ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी का क्या नाम है तथा उसका माहात्म्य क्या है, सो कृपा कर कहिए?

भगवान श्रीकृष्ण कहने लगे कि हे राजन! यह एकादशी ‘अचला’ तथा 'अपरा' दो नामों से जानी जाती है। पुराणों के अनुसार ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की एकादशी अपरा एकादशी है, क्योंकि यह अपार धन देने वाली है। जो मनुष्य इस व्रत को करते हैं, वे संसार में प्रसिद्ध हो जाते हैं। उन्हें अचल धन-संपत्ति मिलती है।
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प्राचीन काल में महीध्वज नामक एक धर्मात्मा राजा था। उसका छोटा भाई वज्रध्वज बड़ा ही क्रूर, अधर्मी तथा अन्यायी था। वह अपने बड़े भाई से द्वेष रखता था। उस पापी ने एक दिन रात्रि में अपने बड़े भाई की हत्या करके उसकी देह को एक जंगली पीपल के नीचे गाड़ दिया। इस अकाल मृत्यु से राजा प्रेतात्मा के रूप में उसी पीपल पर रहने लगा और अनेक उत्पात करने लगा। 
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एक दिन अचानक धौम्य नामक ऋषि उधर से गुजरे। उन्होंने प्रेत को देखा और तपोबल से उसके अतीत को जान लिया। अपने तपोबल से प्रेत उत्पात का कारण समझा। ऋषि ने प्रसन्न होकर उस प्रेत को पीपल के पेड़ से उतारा तथा परलोक विद्या का उपदेश दिया। दयालु ऋषि ने राजा की प्रेत योनि से मुक्ति के लिए स्वयं ही अपरा (अचला) एकादशी का व्रत किया और उसे अगति से छुड़ाने को उसका पुण्य प्रेत को अर्पित कर दिया। इस पुण्य के प्रभाव से राजा की प्रेत योनि से मुक्ति हो गई। वह ॠषि को धन्यवाद देता हुआ दिव्य देह धारण कर पुष्पक विमान में बैठकर स्वर्ग को चला गया। अत: अपरा एकादशी की कथा पढ़ने अथवा सुनने से मनुष्य सब पापों से छूट जाता है। अपरा एकादशी व्रत से मनुष्य को अपार खुशियों की प्राप्ति होती है तथा समस्त पापों से मुक्ति मिलती है।

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