इस व्रत के प्रभाव से हो जाते हैं सारे पाप माफ़, मिलती है मोक्ष की प्राप्ति

Edited By Jyoti,Updated: 17 May, 2020 06:01 PM

apara ekadashi story in hindi

18 मई, दिन सोमवार ज्येष्ठ मास की एकादशी तिथि को अपरा एकादशी का व्रत रखा जाएगा। प्रत्येक वर्ष इस दिन को बड़ी संख्या में लोग व्रत आदि रखते हैं तथा विष्णु भगवान की पूजा करते हैं।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
18 मई, दिन सोमवार ज्येष्ठ मास की एकादशी तिथि को अपरा एकादशी का व्रत रखा जाएगा। प्रत्येक वर्ष इस दिन को बड़ी संख्या में लोग व्रत आदि रखते हैं तथा विष्णु भगवान की पूजा करते हैं। धार्मिक शास्त्रों की मानें तो साल में आने वाली हर एकादशी का अपना अलग महत्व है। इस महत्व के साथ कोई न कोई पौराणिक कखता जुड़ी है। अब आप समझ ही गए होंगे कि हम आपको अपरा एकादशी से जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में बताने वाले हैं। तो चलिए जानते हैं पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति दिलवाने वाले इस व्रत से संबंधित व्रत कथा-
PunjabKesari, Apara Ekadashi 2020, Apara Ekadashi 2020, Muhurta, अपरा एकादशी 2020, Apara Ekadashi Date, Apara Ekadashi Calendar, Apara Ekadashi Worship, Lord Sri Vishnu, Sri Hari, Religious Story, Dharmik Katha In Hindi
युधिष्ठिर के एकादशी का महत्व पूछने पर भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि हे राजन! यह एकादशी ‘अचला’ तथा 'अपरा' दो नामों से जानी जाती है। पुराणों के अनुसार ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की एकादशी अपरा एकादशी है, क्योंकि यह अपार धन देने वाली है। जो मनुष्य इस व्रत को करते हैं, वे संसार में प्रसिद्ध हो जाते हैं। उन्हें अचल धन-संपत्ति मिलती है।

प्राचीन काल में महीध्वज नामक एक धर्मात्मा राजा था। उसका छोटा भाई वज्रध्वज बड़ा ही क्रूर, अधर्मी तथा अन्यायी था। वह अपने बड़े भाई से द्वेष रखता था। उस पापी ने एक दिन रात्रि में अपने बड़े भाई की हत्या करके उसकी देह को एक जंगली पीपल के नीचे गाड़ दिया। इस अकाल मृत्यु से राजा प्रेतात्मा के रूप में उसी पीपल पर रहने लगा और अनेक उत्पात करने लगा। 
PunjabKesari, Apara Ekadashi 2020, Apara Ekadashi 2020, Muhurta, अपरा एकादशी 2020, Apara Ekadashi Date, Apara Ekadashi Calendar, Apara Ekadashi Worship, Lord Sri Vishnu, Sri Hari, Religious Story, Dharmik Katha In Hindi
एक दिन अचानक धौम्य नामक ऋषि उधर से गुजरे। उन्होंने प्रेत को देखा और तपोबल से उसके अतीत को जान लिया। अपने तपोबल से प्रेत उत्पात का कारण समझा। ऋषि ने प्रसन्न होकर उस प्रेत को पीपल के पेड़ से उतारा तथा परलोक विद्या का उपदेश दिया। दयालु ऋषि ने राजा की प्रेत योनि से मुक्ति के लिए स्वयं ही अपरा (अचला) एकादशी का व्रत किया और उसे अगति से छुड़ाने को उसका पुण्य प्रेत को अर्पित कर दिया। इस पुण्य के प्रभाव से राजा की प्रेत योनि से मुक्ति हो गई। वह ॠषि को धन्यवाद देता हुआ दिव्य देह धारण कर पुष्पक विमान में बैठकर स्वर्ग को चला गया। अत: अपरा एकादशी की कथा पढ़ने अथवा सुनने से मनुष्य सब पापों से छूट जाता है। अपरा एकादशी व्रत से मनुष्य को अपार खुशियों की प्राप्ति होती है तथा समस्त पापों से मुक्ति मिलती है।
 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!