अधिक मास में भगवान विष्णु के अलावा ये 32 देवता भी होते हैं प्रसन्न

Edited By Jyoti,Updated: 01 Oct, 2020 05:23 PM

apart from lord vishnu there are other 32 gods can be pleased in this month

सनातन धर्म में अधिक मास का बहुत महत्व है। यूं तो इस मास में तमाम तरह के शुभ कार्य करने वर्जित होते हैं। परंतु पूजा-अर्चना के लिहाज़ से ये मास अत्यंत प्रभावी माना जाता है।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
सनातन धर्म में अधिक मास का बहुत महत्व है। यूं तो इस मास में तमाम तरह के शुभ कार्य करने वर्जित होते हैं। परंतु पूजा-अर्चना के लिहाज़ से ये मास अत्यंत प्रभावी माना जाता है। ऐसी धार्मिक मान्यताएं हैं कि ये मास भगवान विष्णु जी का सबसे प्रिय है, जिसके चलते हर कोई इस दौरान इनको प्रसन्न करने में जुटा दिखाई देता है। मगर क्या आप जानते हैं इस मास नें इनके अलावा अन्य कई देवी-देवता प्रसन्न होते हैं। जी हां, शायद आप में से बहुत कम लोग होंगे जिन्हें इस बारे में जानकारी होगी। तो चलिए आपको बताते हैं कि इल मास में भगवान नारायण के साथ-साथ अन्य कौन से 32 देवता प्रसन्न होते हैं। लेकिन इससे पहले आपको एक बार फिर से बता देते हैं अधिक मास के बारे में-
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शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक 3 साल के बाद अधिक मास जुड़ता है। ज्योतिषी बताते हैं कि अधिक मास सूर्य और चंद्रमा की वार्षिक चाल  में 1 दिनों का अतंर होता है, जिसे पाटने के लिए हर तीन साल बाद अधिक को जोड़ दिया जाता है। कहा जाता है इससे वर्ष में संतुलन हो जाता है जबकि उसे वर्ष चंद्रमास 13 माह का हो जाता है। बता दें इस साल का अधिक मास 18 सितंबर से प्रारंभ होकर 16 अक्टूबर को समाप्त हो जाएगा। 
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इस मास के अधिपति देव भगवान विष्णु कहलाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के इस महीने की कथा भगवान विष्णु, इनके नृःसिंह अवतार तथा श्री कृष्ण से जुड़ी हुई है। यही कारण है इसी महीने में विशेष रूप सेश्रीकृष्ण, श्रीमद्भगवतगीता, श्रीराम कथा वाचन और श्रीविष्णु भगवान के श्री नृःसिंह स्वरूप की उपासना की जाती है। इस माह उपासना करने का अपना अलग ही महत्व है।
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यहां जानें किन 33 देवताओं की पूजा का अधिक महत्व है- 
विष्णु, जिष्णु, महाविष्णु, हरि, कृष्ण, भधोक्षज, केशव, माधव, राम, अच्युत, पुरुषोत्तम, गोविंद, वामन, श्रीश, श्रीकांत, नारायण, मधुरिपु, अनिरुद्ध, त्रीविक्रम, वासुदेव, यगत्योनि, अनन्त, विश्वाक्षिभूणम्, शेषशायिन, संकर्षण, प्रद्युम्न, दैत्यारि, विश्वतोमुख, जनार्दन, धरावास, दामोदर, मघार्दन एवं श्रीपति जी की पूजा से बड़ा लाभ होता है। इसके लावा बता दें प्रचलित कथाओं के अनुसार भगवान नृःसिंह ने इस मास को अपना नाम दिया है, तथा वो कहते हैं कि मैं इस मास का स्वाम हूं, केवल इस मास के नाम से सारा जगत पवित्र हो जाता है। जो भी व्यक्ति इस मास में जो भी इंसान मुझे प्रसन्न करने में सक्षम होगा उसकी हर मनोकामना मैं स्वंय पूरी करूंगा। 

 

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