Edited By Niyati Bhandari,Updated: 10 May, 2018 02:04 PM
भगवान को एकादशी तिथि परम प्रिय है, इसीलिए एकादशी व्रत का पालन करने वाले भक्तों पर प्रभु की अपार कृपा सदा बनी रहती है। ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी से मनुष्य को अपार धन की प्राप्ति होती है
भगवान को एकादशी तिथि परम प्रिय है, इसीलिए एकादशी व्रत का पालन करने वाले भक्तों पर प्रभु की अपार कृपा सदा बनी रहती है। ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी से मनुष्य को अपार धन की प्राप्ति होती है तथा जीव के सभी प्रकार के पापों का नाश भी हो जाता है, इसीलिए यह एकादशी अपरा नाम से प्रसिद्ध है। इस बार एकादशी व्रत 11 मई को है। इसी दिन कपूरथला में मां भद्रकाली (काली माता) का विशाल ऐतिहासिक मेला भी लगता है तथा इस एकादशी को भद्रकाली एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
क्या और कैसे करें व्रत
एकादशी से पूर्व दशमी यानि 10 मई को भगवान विष्णु जी का ध्यान करते हुए एकादशी व्रत करने का पहले मन में संकल्प करना चाहिए। प्रात: सूर्य निकलने से पूर्व उठकर स्नान आदि क्रियाओं से निवृत होकर भगवान के वामन अवतार और भगवान विष्णु जी का धूप, दीप, नेवैद्य और श्वेत पुष्पों से पूजन करते हुए उन्हें मौसम के फलों का भोग लगाएं। आम, खरबूजा, आडू, खुरमानी, लीची, लुगाठ, केले का भोग लगाना अति उत्तम है। स्वयं उपवास करें तथा फलों का यथासम्भव दान करते हुए आप भी फलाहार करें।
रात्रि को प्रभु नाम का संकीर्तन करते हुए प्रभु का जागरण करें। व्रत में रात को प्रभु नाम संकीर्तन की अत्याधिक महिमा है। द्वादशी को स्नान आदि करके ब्राह्मणों को यथाशक्ति दान व दक्षिणा देकर स्वयं भोजन करने से व्रत सम्पन्न होता है तथा व्रत का पुण्यफल प्राप्त होता है। व्रत क्योंकि शुक्रवार को है, इसलिए इस दिन सफेद एवं गुलाबी रंग की वस्तुओं का दान करना अति उत्तम कर्म है।
क्या कहते है विद्वान
अमित चड्डा के अनुसार एकादशी भक्ति की जननी है तथा जननी के आशीर्वाद से जैसे सभी प्रकार के सुख बालक को प्राप्त होते हैं, वैसे ही एकादशी व्रत के पालन से मनुष्य को पुण्यफल की प्राप्ति होती है तथा जिस कामना से कोई व्रत करता है वह भी अवश्य पूरी हो जाती है। व्रत तब तक पूर्ण नहीं होता जब तक उसका पारण सही समय पर न किया जाए। व्रत का पारण 12 मई को प्रात: 10.08 से पहले किया जाना चाहिए।
वीना जोशी
veenajoshi23@gmail.com