आज भी इस कबीले के साथ समय व्यतित करने आते हैं हनुमान जी

Edited By ,Updated: 21 Jan, 2015 08:20 AM

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श्री राम ने हनुमान जी को चिरंजीवी होने का वरदान दिया था। मान्यता के अनुसार वह हिमालय के जंगलों में निवास करते हैं। जहां भी राम कथा हो रही हो या उनके भक्तों को

श्री राम ने हनुमान जी को चिरंजीवी होने का वरदान दिया था। मान्यता के अनुसार वह हिमालय के जंगलों में निवास करते हैं। जहां भी राम कथा हो रही हो या उनके भक्तों को उनकी सहायता की अवश्यकता हो तो वह मानव समाज में आते हैं लेकिन किसी को दिखाई नहीं देते।

प्रभु श्री राम ने जब मनुष्य जीवन से समाधि ले ली तो हनुमान जी ने भी अयोध्या का त्याग कर दिया और फिर से वनों में रहने के लिए चले गए। उन्होंने श्री राम के साथ अधिकतर समय लंका के जंगलों में व्यतित किया था। शायद उन स्मृतियों से रूबरू होने के लिए वह लंका में गए उन दिनों वहां विभिषण जी राज्य करते थे। 

श्री लंका का सबसे ऊंचा पर्वत है पिदुरुथालागाला जिसे पिदुरु नाम से भी जाना जाता है। हनुमान जी ने इसी पिदुरु पर्वत पर अपना बसेरा बनाया और वही रहने लगे। वहां निवास करने वाले कुछ आदिवासियों ने उनकी खूब सेवा अर्चना की। हनुमान जी ने प्रसन्न होकर उन आदिवासियों को आशीर्वाद दिया था कि मैं आपके कबीले के साथ प्रत्येक 41 वर्ष बाद समय व्यतित करने आया करूंगा और आपके कबीले को आत्म ज्ञान देता रहूंगा।

श्री लंका के पिदुरु पर्वत पर निवास करने वाले आदिवासी आज तक आधुनिक समाज का हिस्सा नहीं बनें। इस कबीले के हनुमान जी के साथ सम्बन्धों का भेद कुछ समय पहले ही ज्ञात हुआ।

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