भविष्य को अंधकार में डूबने से बचाने के लिए तुरंत छोड़ दें इन 4 का साथ

Edited By ,Updated: 07 Feb, 2015 08:26 AM

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अधर्म का साथ देने वाले रिश्तेदारों का तुरंत त्याग कर दें अन्यथा आपका भविष्य अंधकार में डूब जाएगा जैसे श्री रामायण में विभीषण ने रावण का साथ छोड़ दिया और बदलें में उसे

अधर्म का साथ देने वाले रिश्तेदारों का तुरंत त्याग कर दें अन्यथा आपका भविष्य अंधकार में डूब जाएगा जैसे श्री रामायण में विभीषण ने रावण का साथ छोड़ दिया और बदलें में उसे भगवान राम का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। कुंभकर्ण ने यह जानते हुए भी अपने भाई का साथ दिया की वो गलत है इसलिए वह मृत्यु का ग्रास बना।

अशांति बाहर से भीतर मन में प्रवेश करती है। मानसिक द्वंद्व, बहस, तनाव और दुख से मन अशांत हो जाता है। मन की अशांति का कारण शरीर की सेहत खराब होना भी है। अत: ऐसे स्थान का तुरंत त्याग कर दें जहां अशांति फैली हो। जरासंध कंस के मरणोपरांत श्री कृष्ण को मारने के लिए आतुर था। उसने बहुत बार मथुरा पर चढ़ाई की जिससे मथुरा में अशांति का माहौल बनने लगा। अपनी प्रजा का हित देखते हुए उन्होंने मथुरा को छोड़ द्वारिका की स्थापना की। 

अभिमानी और कुटिल व्यक्ति को न तो संसार पसंद करता है और न ही भगवान। सहजता, सरलता, ईमानदारी और वफादारी मनुष्य के उत्तम गुण हैं। यही गुण व्यक्ति को आगे बढ़ाते हैं। जहां आप काम करते हैं यदि आपके मालिक में यह गुण नहीं हैं तो तुरंत उस कार्य स्थान को छोड़ने में ही आपकी भलाई है। कंस ने अपने हित के लिए अपने बहुत सारे कर्मचारियों के प्राणों को संकट में डाला था।

स्वार्थी व्यक्ति की मित्रता छाया की भांति है। प्रकाश में साया साथ चलता है, किन्तु अन्धकार होते ही वह गायब हो जाता है। इसी प्रकार स्वार्थी व्यक्ति तब तक मित्रता का दम भरता और साथ चलता है, जब तक उसके मित्र के पास धन, साधन और शक्ति है, किन्तु इनका ह्रास होते ही स्वार्थी, अपने मित्र का साथ छोड़ देता है। मूर्ख मित्र से बुद्धिमान शत्रु अच्छा होता है। दुर्योधन ने कर्ण से अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए मित्रता की थी। 

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