शुभ काम की शुरूआत का पहला न्यौता जाता है इस मंदिर में

Edited By ,Updated: 12 Feb, 2015 05:00 AM

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इंदौर का खजराना मंदिर गणेश जी को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 1735 में किया गया था। गणेश मंदिर के अतिरिक्त और भी 33 छोटे-बड़े मंदिर यहां अवस्थित हैं।

इंदौर का खजराना मंदिर गणेश जी को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 1735 में किया गया था। गणेश मंदिर के अतिरिक्त और भी 33 छोटे-बड़े मंदिर यहां अवस्थित हैं। जिनमें बहुत से देवी-देवताओं की सुंदर प्रतिमाएं हैं। किसी भी शुभ काम की शुरूआत का पहला न्यौता इसी मंदिर में दिया जाता है।

मान्यता है की औंरगजेब ने जब भारत के मंदिरों को विध्वंस किया तो गणेश जी की प्रतिमा को सुरक्षित करने के लिए उसे मंदिर में बने कुएं में डाल दिया गया था। लोक मत है की पुरोहित मंगल भट्ट को स्वप्न में गणेश जी आते और उन्हें कुएं में से अपनी प्रतिमा को निकालने के लिए कहते। जब भी यह स्वप्न आता तो मंगल भट्ट जी व्याकुल हो उठते एक दिन वो मां अहित्याबाई के दरबार में गए और सभी सभा सदों के मध्य उन्होंने अपना सपना सुनाया। 

राजमाता अहित्याबाई ने कुएं की खुदाई करवाने का आदेश जारी किया। बहुत खुदाई करने के उपरांत कुएं में से गणपति बप्पा की प्रतिमा निकाली गई। जिसे खजराना स्थित मंदिर में स्थापित किया गया। धीरे-धीरे यह मंदिर प्रचलित धार्मिक स्थान बन गया। भक्तों की आस्था है की इस मंदिर में विघ्न विनायक का जाग्रत स्वरूप वास करता है जो मंदिर में आने वाले सभी भक्तों की मन्नतें पूर्ण करते हैं। 

अन्य प्रचलित प्रथा के अनुसार कोई भी भक्त अपने मन में कामना रख कर मंदिर में धागा बांधता है तो उसकी सभी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती हैं। मनोकामना पूर्ति के उपरांत इस स्थान पर बंधे अनेकों धागों में से कोई भी एक धागे खोल दिया जाता है।

 मंदिर में प्रतिदिन भव्य आरती का आयोजन होता है लेकिन बुधवार को विशिष्ट पूजन होता है। इस पूजन में भाग लेने असंख्य भक्त आते हैं और आर्शीवाद प्राप्त करते हैं।

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