नवग्रहों को नियंत्रित करती हैं नवरात्रों में नव शक्तियां जागृत होकर

Edited By ,Updated: 25 Mar, 2015 10:06 AM

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चैत्र के महीने में आने वाले नवरात्रों की अवधि में ब्रह्मांड के सारे ग्रह एकत्रित होकर सक्रिय हो जाते हैं जिसका दुष्प्रभाव प्राणियों पर पड़ता है तथा ग्रहों के इसी दुष्प्रभाव से बचने के लिए नवरात्रों में मां दुर्गा की पूजा की जाती है।

चैत्र के महीने में आने वाले नवरात्रों की अवधि में ब्रह्मांड के सारे ग्रह एकत्रित होकर सक्रिय हो जाते हैं जिसका दुष्प्रभाव प्राणियों पर पड़ता है तथा ग्रहों के इसी दुष्प्रभाव से बचने के लिए नवरात्रों में मां दुर्गा की पूजा की जाती है।

इसी संबंधित नवरात्रों में दुर्गा पूजा का महत्व बताते हुए यैस आई केन चेंज के पंजाब ब्रांच के संचालक पं. सुनील शर्मा ने बताया कि नवरात्रे दुर्गा पूजा शक्ति उपासना का पर्व है। दुर्गा दुखों का नाश करने वाली देवी है। इसलिए नवरात्रों में जब उनकी पूजा आस्था श्रद्धा से की जाती है तो नव शक्तियां जागृत होकर नवग्रहों को नियंत्रित करती हैं। 

दुर्गा की इन नव शक्तियों को जागृत करने के लिए दुर्गा के नर्वाण मंत्र का जाप किया जाता है। नव का अर्थ है नौ तथा अर्ण का अर्थ है अक्षर। नर्वाण मंत्र के नौ अक्षरों में पहला अक्षर ऐं है, जो सूर्य को नियंत्रित करता है। ऐं का संबंध दुर्गा की पहली शक्ति शैलपुत्री से है जिसकी उपासना पहले नवरात्रे में की जाती है। दूसरा अक्षर ह्री है, जो चंद्रमा को नियंत्रित करता है। इसका संबंध दुर्गा की दूसरी शक्ति ब्रह्मचारिणी से है। इसी प्रकार तीसरा अक्षर क्लीं, चौथा अक्षर चा, पांचवां अक्षर मुं, छठा अक्षर डा, सातवां अक्षर यै, आठवां वि तथा नौवां अक्षर चै है। 

जो क्रमश: मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु ग्रहों को नियंत्रित करते हैं। इस प्रकार चैत्र के नवरात्रों में हम मां दुर्गा का पूजन करके अपने नवग्रहों को अपने अनुकूल करते हैं तथा पूरी विधि के साथ कंजक पूजन करने के साथ मां दुर्गा की कृपा हम पर बनी रहती है।

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