मन्नतें पूर्ण करने के लिए उड़ाई जाती है पंतग

Edited By ,Updated: 27 Mar, 2015 12:19 PM

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मंदिर जाते समय श्रद्धालु भक्त देवी-देवताओं की प्रसन्नता और अशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनकी मनभावन भेंट लेकर जाते हैं। राजस्थान के बीकानेर जिले में बाबा भैरवनाथ का मंदिर है जहां प्रसाद के रूप में बाबा को पतंग अर्पित की जाती है।

मंदिर जाते समय श्रद्धालु भक्त देवी-देवताओं की प्रसन्नता और अशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनकी मनभावन भेंट लेकर जाते हैं। राजस्थान के बीकानेर जिले में बाबा भैरवनाथ का मंदिर है जहां प्रसाद के रूप में बाबा को पतंग अर्पित की जाती है। बाबा के दरबार में देश-विदेश से लोग आकर रंग-बिरंगी पंतगे चढ़ाते हैं और बदले में बाबा से अपनी मन्नतें पूर्ण करवाते हैं।

लोक मान्यताओं के अनुसार प्राचीनकाल में इस मंदिर में केवल राजा-महाराजा आते थे और वो भगवान सूर्य नारायण की ओर मुख करके पतंग उड़ाते जिससे उन्हें मानसीक शांति प्राप्त होती थी। राजा महाराजाओं का दौर खत्म होते ही आम जनमानस के लिए इस मंदिर के कपाट खुल गए और पतंगों द्वारा मन्नते मांगने का तरीका भी लोकप्रिय हो गया।
 
वहां के आम जनमानस का मानना है की जीवन में आने वाली विषम से विषम परिस्थिती से उबरने और मन भावन इच्छा को पूर्ण करने के लिए बाबा को पंतग प्रसाद रूप में चढ़ाई जाती है।
 
लोग पतंग के ऊपर रामायण की चौपाईयां अथवा अपनी समस्याएं लिख कर आसमान में उड़ाते हैं माना जाता है की जिस व्यक्ति की पतंग जितनी ऊंची ऊड़ती है उसके जीवन में आ रही विकट स्थिति उतनी ही जल्दी छू मंतर हो जाती है।
 
प्रतिदिन यहां बहुत से भक्त आते हैं लेकिन अक्षय तृतीया, भैरवाष्टमी के अतिरिक्त प्रत्येक तीज-त्यौहार पर यहां खुला गगन पतंगों से भर जाता है। पतंग लेकर पहले बाबा के चरणों में चढ़ाई जाती है फिर पूजन के उपरांत भक्त को अपने हाथों से उसे उड़ाना पड़ता है।
पतंग उड़ाने से अपने अशुभ ग्रहों को भी शुभ किया जा सकता है
 
* शनिदोष से पीड़ित जातक काली पतंग उड़ाते हैं।
 
* मंगल से पीड़ित जातक लाल पतंग उड़ाते हैं।
 
* बृहस्पति से पीड़ित जातक पीली पतंग उड़ाते हैं।
 

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