परिवार की तरक्की के लिए अपनाएं वास्तु टिप्स

Edited By ,Updated: 30 Mar, 2015 08:25 AM

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यदि किसी झोपड़े को वास्तुनुरूप बनाया जाए तो वहां रहने वाले व्यक्ति को अपनी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए परेशानियां नहीं उठानी पड़ती हैं। उसका परिवार तरक्की करता है और परिवार का जीवन धीरे-धीरे सुखद होता चला जाता है।

यदि किसी झोपड़े को वास्तुनुरूप बनाया जाए तो वहां रहने वाले व्यक्ति को अपनी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए परेशानियां नहीं उठानी पड़ती हैं। उसका परिवार तरक्की करता है और परिवार का जीवन धीरे-धीरे सुखद होता चला जाता है। सभी आकार के प्लाट पर वास्तुनुकूल घर बनाया जा सकता है। हम यहां पर एक 10 फीट चौड़े 20 फीट लम्बे प्लाट पर एक वास्तुनुकूल घर कैसे बनाया जाए उसकी जानकारी दे रहे हैं। घर बनाने की शुरूआत वास्तुनुकूल जमीन के चयन से ही शुरू होती है।

१  घर बनाने के लिए प्लाट ऐसी जगह पर लें, जिसके आस-पास की भूमि समतल हो। यदि भूमि में किसी प्रकार की नीचाई जैसे कुंआ, बड़ी नाली, नाला, नदी, पहाड़ी की ढलान इत्यादि हो तो वह केवल उत्तर या पूर्व दिशा में हो। यदि यही भूमि की नीचाई दक्षिण या पश्चिम दिशा की ओर हो तो वहां प्लाट न खरीदें, क्योंकि ऐसे प्लाट पर वास्तुनुकूल घर बन ही नहीं सकता। यदि आपके पास पहले से ही ऐसा प्लाट हो जिसके  दक्षिण एवं पश्चिम दिशा में नीचाई हो तो ऐसी स्थिति में इस दिशा में दरवाजा बिल्कुल न रखें और इन दिशाओं की दीवार उत्तर एवं पूर्व दिशा की तुलना में मोटी बनाए एवं ऊंची रखें।

२ घर बनाने के लिए चारों दिशाएं ही वास्तुनुकूल हैं। मुख्य बात केवल यह है कि घर का प्रवेश द्वार कहां रखा गया है। यदि पूर्वमुखी घर है तो प्रवेशद्वार पूर्व ईशान में रखें। दक्षिणमुखी में दक्षिण आग्नेय में, पश्चिममुखी में पश्चिम वायव्य में और उत्तरमुखी में उत्तर ईशान में ही प्रवेशद्वार रखें। साथ ही द्वार के ऊपर रोशनदान अवश्य रखें।

३ घर में हवा का प्रवाह सुचारु रूप से रहे इसके लिए खिड़की अवश्य लगाएं। खिड़की उत्तर या पूर्व दिशा में लगाना बेहतर होता है। यदि इन दिशा में ना लगा सकें तो, दक्षिण या पश्चिम दिशा में भी लगा सकते हैं।

४ घर चाहे कितने ही छोटे प्लाट पर क्यों ना बनाएं परन्तु उसमें रसोई एक दीवार बनाकर अवश्य अलग ही बनानी चाहिए। उत्तर, पूर्व एवं पश्चिममुखी घर में चित्र में दिखाए स्थान आग्नेय कोण में पर रसोई बनाए। दक्षिणमुखी घर में पश्चिम दिशा में बनाए। पश्चिम दिशा की रसोई भी वास्तुनुकुल होती है।

५ उत्तर, पूर्व और पश्चिममुखी घर में टायलेट और बाथरूम मध्य पूर्व में बनाए और दक्षिणमुखी घर में वायव्य कोण में बनाएं। ध्यान रहे कि टायलेट के फर्श में किसी भी प्रकार की ऊंचाई न हो। टायलेट व बाथरूम का पानी घर में ना फैले उसके लिए पत्थर की 2 इंच ऊंची एवं 2 इंच चैड़ी पट्टी दरवाजे पर लगा दें। टायलेट व बाथरूम की छत की ऊंचाई घर की ऊंचाई के बराबर रखें। सम्भव हो तो इनमें भी रोशनदान बनाएं।

६ पूरे घर का फर्श समतल ही रखें। यदि हल्का-सा ढलान देना हो तो केवल उत्तर या पूर्व दिशा की ओर ही दें। चाहे घर का प्रवेशद्वार किसी भी दिशा में क्यों न हो। इसी प्रकार छत में भी ढलान देना हो तो वह भी उत्तर या पूर्व दिशा की ओर ही दें। घर के फर्श को आस-पास की जमीन से लगभग 1 फीट अवश्य ऊंंचा रखें। ध्यान रहें कभी भी घर के सामने वाली सड़क से नीचे न रहें।

७ घर के गंदे पानी की निकासी मध्य पूर्व से मध्य उत्तर के बीच कहीं से भी कर सकते है।। कोशिश करें कि, पानी की निकासी दक्षिण या पश्चिम दिशा से न हो।

८ घर की छत की ऊंचाई 10 से 11 फीट के मध्य रखें। यह माप तैयार फर्श एवं तैयार छत के बीच का है।

९ यदि भूमिगत पानी की टंकी बनाने की जरूरत हो तो तब उसे घर के बाहर या घर के अंदर केवल मध्य पूर्व से लेकर ईशान होते हुए मध्य उत्तर के बीच में ही बनाएं।

१० सैप्टिक टैंक बनाना हो तो उत्तर, पूर्व एवं पश्चिममुखी घर में केवल मध्य पूर्व में तथा दक्षिणमुखी घर में मध्य उत्तर में बनाएं। यदि घर के बाहर बनाना संभव हो तो भी इन्हीं स्थानों पर बनाएं।

११ यदि घर के ऊपर कोई और कमरा बनाना हो तो केवल दक्षिण दिशा में ही बनाएं। चाहे घर का मुख्यद्वार किसी भी दिशा में क्यों ना हो।

१२ छत पर पानी की टंकी पश्चिम दिशा में कहीं भी बना सकते हैं।

१३ आलमारी व टांट नैऋत्य कोण एवं पश्चिम दिशा की दीवार पर बनाएं। घर में कहीं पर भी ताक (आला) न बनाएं।

१४ घर के बाहर उत्तर और पूर्व दिशा में ऐसे पौधे बिल्कुल न लगाएं जो कुछ सालों बाद बड़े वृक्ष बन जाएं। इसके विपरीत दक्षिण या पश्चिम दिशा में ऐसे पौधे लगाने चाहिए। दक्षिण-पश्चिम दिशा में बड़े वृक्ष घर की वास्तुनुकूलता को बढ़ने में सहायक होते हैं। पौधे लगाते समय ध्यान रखे के कि इसे घर के बिल्कुल पास न लगाते हुए थोड़ी दूरी पर लगाएं।

१५ पूजा का स्थान बैठक (ड्राईंग रूम) में ईशान कोण में बनाएं। बैठक में पूजा का स्थान होने पर घर के सभी सदस्य बुद्धिमान होते हैं।

१६ बच्चे पढ़ाई में अच्छी सफलता पाए, इसके लिए उन्हें पढ़ते समय उत्तर या पूर्वमुखी होकर बैठना चाहिए।

वास्तु के इन नियमों के अनुसार यदि कोई घर बनेगा तो निश्चित रूप से वहां रहने वालों का जीवन सुखद एवं सरल होगा और वहां निवास करने वाला परिवार तरक्की करेगा।

विशेष - आजकल कालोनाईजर द्वारा मध्यमवर्गीय परिवारों की जरूरतों को ध्यान में रहते हुए छोटे-छोटे प्लाट काटकर बेचे जा रहे हैं जैसे 10’X40’, 10’X50’। छोटे प्लाटों पर घर बनाते समय जगह छोड़ना सम्भव नहीं होता है। फिर भी मेरी आपको सलाह है कि, ऐसी स्थिति में पूर्व दिशा अथवा उत्तर दिशा में 4 या 6 फीट जगह छोड़कर आंगन जरूर बनाना चाहिए। जहां सूर्य की किरणें आ सकें। आंगन के फर्श का लेवल घर के लेवल से 4 से 6 इंच नीचा रखना चाहिए और पूरे प्रयास करना चाहिए कि, यहां भूमिगत पानी का टैंक भी बन जाए। किसी भी घर की यह वास्तु स्थिति उसमें रहने वाली परिवार की सुख-समृद्धि के लिए शुभ होकर वास्तुनुकूल होगी। चाहे घर की उत्तर या पूर्व दिशा घर के आगे के भाग में हो या पीछे के इससे फर्क नहीं पड़ता। अतः उत्तर या पूर्व दिशा में जगह छोड़िएगा।

- वास्तु गुरू कुलदीप सलूजा

thenebula2001@yahoo.co.in

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