हिंदू मंदिर में मुस्लिम धर्म के पुजारी करते हैं पूजा

Edited By ,Updated: 09 Apr, 2015 08:31 AM

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भारत के ही भाग रहे पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हिंगोल नदी के किनारे अघोर पर्वत पर माता हिंगलाज भवानी का मंदिर है। यह मंदिर बलूचिस्तान राज्य की राजधानी कराची से 120 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में हिंगोल नदी के तट के ल्यारी तहसील के मकराना के तटीय...

भारत के ही भाग रहे पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हिंगोल नदी के किनारे अघोर पर्वत पर माता हिंगलाज भवानी का मंदिर है। यह मंदिर बलूचिस्तान राज्य की राजधानी कराची से 120 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में  हिंगोल नदी के तट के ल्यारी तहसील के मकराना के तटीय क्षेत्र में हिंगलाज में स्थित है। यह प्रदेश पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा पर है। 

मान्यता है कि माता सती के शरीर का पहला टुकड़ा अर्थात सिर का एक भाग यहीं अघोर पर्वत पर गिरा था। इस स्थान को हिंगलाज, हिंगुला, कोटारी और नानी का मंदिर नाम से जाना जाता है।

इस मंदिर का निर्माण मनुष्य के द्वारा नहीं  बल्कि प्राकृतिक रूप से हुआ है। इस पहाड़ी गुफा में देवी माता मस्तिष्क रूप  में विराजित है। शास्त्रों के मतानुसार इस शक्तिपीठ को आग्नेय तीर्थ कहा गया है। चैत्र नवरात्र में इस स्थान पर महीने भर तक विशाल मेले का आयोजन  होता है। इस मंदिर की विशेष बात यह है कि यहां के पुजारी मुस्लिम धर्म के हैं।

हिंगलाज माता मंदिर जाने के लिए पासपोर्ट और वीजा जरूरी है। हिंगलाज की यात्रा कराची से प्रारंभ होती है। कराची से लगभग 10 किलोमीटर दूर हॉव नदी है। मुख्य यात्रा वहीं से शुरू होती है। हिंगलाज जाने के पहले लासबेला में माता की मूर्ति का दर्शन करने होते हैं। यह दर्शन छड़ी वाले पुरोहित कराते हैं। वहां से शिवकुण्ड (चंद्रकूप) जाते हैं, जहां अपने पाप की घोषणा कर नारियल चढ़ाते हैं। जिनकी पाप मुक्ति हो गई और दरबार की आज्ञा मिल गई। उनका नारियल और भेंट स्वीकार हो जाती है।

 

 

 

 

 

 

 

 

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